हरियाणा के नायक नायाब सैनी, शपथ आज
दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 16 अक्तूबर
नायब सिंह सैनी ही हरियाणा के मुख्यमंत्री होंगे। बुधवार को सर्वसम्मति से उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की मौजूदगी में पंचकूला स्थित भाजपा कार्यालय में हुई विधायक दल की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी नेतृत्व के फैसले के बारे में सभी विधायकों को अवगत करवाया। पूर्व मंत्री व नरवाना के विधायक कृष्ण कुमार बेदी ने नायब सिंह सैनी के नाम का प्रस्ताव बैठक में रखा। राज्य के पूर्व गृह मंत्री व अम्बाला कैंट के विधायक अनिल विज ने उनके नाम का अनुमोदन किया। भाजपा ने कुरुक्षेत्र जिले के लाडवा हलके से विधायक बने सैनी को ही मुख्यमंत्री का चेहरा प्रोजेक्ट करके विधानसभा चुनाव लड़ा था। ऐसे में उनके नाम पर किसी तरह का संशय नहीं था, लेकिन विधायक दल का नेता चुने जाने की प्रक्रिया अपनाई जानी जरूरी थी।
विधायक दल की बैठक के बाद सैनी ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात कर 51 विधायकाें के समर्थन के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया। इनमें 48 विधायक भाजपा के हैं। तीन निर्दलीय विधायकों- सावित्री जिंदल, राजेश जून और देवेंद्र सिंह कादियान ने भी राज्यपाल को समर्थन पत्र सौंपा। अब राज्यपाल बृहस्पतिवार को पंचकूला के दशहरा ग्राउंड में नायब सिंह सैनी और मंत्रियों को शपथ ग्रहण करवाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अमित शाह, राजनाथ सिंह, मनोहर लाल समेत कई केंद्रीय मंत्री और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा व एनडीए शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद रहेंगे। समारोह सुबह 11 बजे शुरू होगा। प्रशासन की ओर से इस आयोजन को भव्य व यादगार बनाने के लिए सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं।
राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात के दौरान अमित शाह, मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, राव इंद्रजीत सिंह, पार्टी प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली, त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लब कुमार देब, हरियाणा मामलों के प्रभारी सतीश पूनिया सहित कई वरिष्ठ नेता भी सैनी के साथ मौजूद रहे।
छह माह में बदल गयी किस्मत
2019 में कुरुक्षेत्र से सांसद बने नायब सिंह सैनी को 2023 में ओमप्रकाश धनखड़ की जगह भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। छह महीने बाद ही 12 मार्च, 2024 को उन्हें मनोहर लाल की जगह राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया गया। मनोहर लाल के साथ करीबी रिश्तों व पुरानी पहचान का फायदा सैनी को मिला। पहली बार वे 2014 में नारायणगढ़ से विधायक बने थे और 2015 में मनोहर लाल ने उन्हें अपनी कैबिनेट में बतौर राज्य मंत्री शामिल किया था।
कम्प्यूटर ऑपरेटर भी रहे
नायब सिंह सैनी मूल रूप से अम्बाला जिला के मिर्जापुर गांव के रहने वाले हैं। लॉ-ग्रेजुएट सैनी ने राजनीति की शुरुआत भी मनोहर लाल के सान्निध्य में की। अम्बाला स्थित भाजपा कार्यालय में बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर शुरुआत करने वाले सैनी को भाजपा किसान मोर्चा का महासचिव बनाया गया। वह अम्बाला युवा विंग के सक्रिय सदस्य भी रहे। इस दौरान संघ में एक्टिव मनोहर लाल उनकी वर्किंग से काफी प्रभावित हुए। साल 2009 में उन्होंने नारायणगढ़ हलके से पहली बार चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के रामकिशन गुर्जर के मुकाबले हार गए। साल 2014 में उन्होंने अपनी हार का बदला लिया और पहली बार विधानसभा पहुंचे।
प्रदेश के 11वें सीएम होंगे नायब सैनी
पहले सीएम पंडित भगवत दयाल का सबसे छोटा कार्यकाल । लगातार 9 साल 235 दिन के सीएम का रिकार्ड हुड्डा के नाम
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 16 अक्तूबर
हरियाणा की 15वीं विधानसभा में नायब सिंह सैनी राज्य के 11वें मुख्यमंत्री होंगे। नायब सिंह सैनी लगातार दूसरी बार बृहस्पतिवार को पंचकूला के दशहरा ग्राउंड में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे। वे पहली बार इसी साल 12 मार्च को मुख्यमंत्री बने थे। नायब का पहला कार्यकाल 216 दिनों का रहा। अभी तक भूतपूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजनलाल का कार्यकाल सबसे लंबा रहा। वहीं सबसे छोटा कार्यकाल राज्य के पहले मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा का रहा।
पंडित भगवत दयाल शर्मा मूल रूप से झज्जर जिला के बेरी के रहने वाले थे। पहली नवंबर, 1966 को जब पंजाब से अलग होकर हरियाणा पृथक राज्य के रूप में अस्तित्व में आया तो पंडित भगवत दयाल शर्मा को कांग्रेस ने अपना पहला मुख्यमंत्री बनाया। उस समय ज्वाइंट पंजाब के उन विधायकों के साथ ही हरियाणा विधानसभा का गठन हुआ, जो हरियाणा के हिस्से से विधायक बने थे। विधानसभा का पहला आमचुनाव 1967 में हुआ। पहले आमचुनाव में विशाल हरियाणा पार्टी के राव बिरेंद्र सिंह प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री बने। पहले सीएम के रूप में पंडित भगवत दयाल शर्मा का कार्यकाल महज 143 दिनों का रहा। वहीं राव बिरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार भी अधिक समय तक नहीं चली। वे कुल 241 दिन ही हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद से अभी तक भी अहीरवाल में ‘चौधर’ नहीं पहुंची है। हालांकि राव बिरेंद्र सिंह के बेटे व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह कई बार दक्षिण हरियाणा की ‘चौधर’ का नाम दे चुके हैं।
राव बिरेंद्र सिंह 24 मार्च, 1967 से 20 नवंबर, 1967 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। उनकी सरकार गिरने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया, जो 183 दिनों तक चला। इसके बाद, कांग्रेस ने 21 मई, 1968 को चौ. बंसीलाल के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की। यह पहला अवसर था जब बंसीलाल के नेतृत्व में सरकार दोबारा बनी। बंसीलाल का पहला कार्यकाल 14 मार्च, 1972 तक चला, और फिर उन्होंने दूसरी बार 1 दिसंबर, 1975 तक मुख्यमंत्री का पद संभाला। उनके दोनों कार्यकालों की कुल अवधि 7 साल 194 दिन रही। 1 दिसंबर, 1975 को कांग्रेस ने बंसीलाल की जगह बनारसी दास गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया, जो 30 अप्रैल, 1977 तक इस पद पर रहे। इसके बाद विधानसभा भंग कर दी गई और 52 दिनों तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहा।
नायब ने रचा नया इतिहास
12 मार्च, 2024 को भाजपा ने मनोहर लाल को बदल कर उनकी जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। रिकार्ड के हिसाब से तो नायब का पहला कार्यकाल 216 दिनों को रहा, लेकिन उन्हें काम करने के लिए केवल 56 दिन ही मिले। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान लोकसभा चुनाव की वजह से आदर्श आचार संहिता लगी रही। बाद में चुनाव आयोग ने हरियाणा के चुनाव भी एक माह एडवांस घोषित कर दिए गए । लेकिन नायब सिंह सैनी ने भाजपा को तीसरी बार पूर्ण बहुमत से सत्ता में लाकर नया इतिहास रच दिया है। राज्य में यह पहला मौका है जब एक ही पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बना रही है।
1977 में देवीलाल की एंट्री
1977 के विधानसभा चुनावों में जनता पार्टी सत्ता में आई और चौ. देवीलाल पहली बार मुख्यमंत्री बने। उनका कार्यकाल 21 जून, 1977 से 28 जून, 1979 तक रहा। भजनलाल ने उनकी सरकार गिराकर मुख्यमंत्री पद ग्रहण किया और 23 मई, 1982 तक शासन किया। इसके बाद, बंसीलाल 20 जून, 1987 तक मुख्यमंत्री रहे।
7वीं विधानसभा में बने 6 सीएम
1987 के चुनावों में जनता दल ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की। इस विधानसभा में छह बार मुख्यमंत्री बदले गए। महम कांड के दौरान ओमप्रकाश चौटाला तीन बार मुख्यमंत्री बने। देवीलाल के डिप्टी पीएम बनने के बाद चौटाला को 171 दिन के कार्यकाल के बाद इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद हुकम सिंह और चौटाला का भी अल्पकालिक कार्यकाल रहा।
भजनलाल की सत्ता वापसी
1991 में कांग्रेस ने भजनलाल के नेतृत्व में सत्ता वापसी की। वे 23 जून, 1991 से 11 मई, 1996 तक मुख्यमंत्री रहे। फिर बंसीलाल भाजपा के साथ गठबंधन करके मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनकी सरकार 24 जुलाई, 1999 को गिर गई। फिर चौटाला ने इनेलो के साथ सरकार बनाई।
जब हुड्डा ने बनाया रिकॉर्ड
2004 के लोकसभा चुनावों में राज्य की 10 में से नौ सीटों पर जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस ने 2005 का विधानसभा चुनाव पूरी मजबूती के साथ लड़ा। उस समय चौ. भजनलाल के मुख्यमंत्री बनने के आसार थे। लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने भूपेंद्र हुड्डा को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया। 2005 में भूपेंद्र हुड्डा ने मुख्यमंत्री पद संभाला और 9 साल 235 दिन तक शासन किया, जो अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है। 2009 में कांग्रेस ने पुनः सरकार बनाई।
मनोहर ने दिखाई राह
2014 तक भाजपा किसी न किसी क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन सहयोगी ही रही। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद हरियाणा में भी भाजपा ने सभी 90 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा। भाजपा पहली बार 47 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई। मनोहर लाल खट्टर को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। 2019 के चुनाव भी उन्हीं के चेहरे पर लड़े गए और मनोहर लाल भाजपा को दूसरी बार सत्ता में लाने में कामयाब रहे। ऐसे में कहा जा सकता है कि सरकार को रिपीट करने की लकीर मनोहर लाल पहले ही तैयार कर चुके थे।
जीत की बधाई...
हरियाणा में प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार बनने पर गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा हरियाणा प्रभारी डॉ. सतीश पूनिया को बधाई दी। भाजपा कार्यालय पंचकूला में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व की सराहना की। डॉ. पूनिया ने गृहमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए हरियाणा में भाजपा की जीत पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि यह जीत राज्य के विकास और जनता की भलाई के लिए महत्वपूर्ण कदम है। भाजपा की मजबूत सरकार के गठन से हरियाणा में नयी ऊर्जा और दिशा मिलेगी।