Haryana Vidhan Sabha Session: कौशल रोजगार निगम के जरिये हरियाणवियों को ही रोजगार
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 13 मार्च
Haryana Vidhan Sabha Session: हरियाणा कौशल रोजगार निगम के जरिये कांट्रेक्ट पर दी जा रही नौकरियों में मूल रूप से हरियाणा के निवासियों को ही प्राथमिकता दी जाती है। निगम में रोजगार के लिए बनाए गए पोर्टल में केवल वही युवा रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं, जिनके पास परिवार पहचान-पत्र (पीपीपी) है। हालांकि वर्तमान में कार्यरत 1 लाख 6 हजार 513 कर्मचारियों में से केवल 2041 ही गैर-हरियाणवी हैं।
ये वे कर्मचारी हैं, जो विभिन्न विभागों व बोर्ड-निगमों में 31 मार्च, 2022 से पहले कार्यरत थे। सरकार ने ऐसे कर्मचारियों को एक बार बिना पीपीपी के भी निगम में पोर्ट की अनुमति दी थी। नई भर्तियों में मूल रूप से हरियाणा के युवाओं को ही मौका दिया जा रहा है। रानियां सेे इनेलो विधायक अर्जुन चौटाला ने निगम को लेकर कई तरह के सवाल उठाए। वहीं पूर्व स्पीकर तथा थानेसर विधायक अशोक अरोड़ा ने एससी-बीसी के आरक्षण का मुद्दा उठाया।
युवा अधिकारिता तथा उद्यमिता मंत्री गौरव गौतम ने कहा कि प्रदेश में ठेकेदारी प्रथा को खत्म करने के लिए सरकार ने कौशल रोजगार निगम का गठन किया। उन्होंने कहा कि निगम में पारदर्शिता के साथ भर्तियां हो रही हैं। पहले ठेकेदार 28 दिन तक काम करवाने के बाद युवाओं को नौकरी से हटा देते थे। पूरा वेतन भी नहीं दिया जाता था। युवाओं का आर्थिक और मानसिक शोषण होता था। इसी के चलते भाजपा सरकार ने निगम बनाया। ठेकेदारों के जरिये कार्यरत युवाओं को भी निगम के दायरे में लाया जा चुका है।
उन्होंने यह भी बताया कि निगम में नौकरियों के लिए सरकार ने नियम तय किए हुए हैं। 1 लाख 80 हजार रुपये सालाना से कम आय वाले परिवार के युवाओं को 40 अंक का लाभ दिया जाता है। पीपीपी में आयु के आधार पर भार (वेटेज) के 10 और आवश्यक योग्यता से अतिरिक्त कौशल योग्यता के पांच अतिरिक्त अंकों का लाभ मिलता है। नौकरी के लिए अनिवार्य योग्यता से अतिरिक्त उच्च योग्यता के 5, सामाजिक-आर्थिक मापदंड के 10, सीईटी पास को 10 तथा पुराने अनुभव के लिए भी अतिरिक्त 10 अंक देने का प्रावधान है।
आरक्षण से अधिक दिया लाभ
अशोक अरोड़ा ने निगम में अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग को आरक्षण नहीं देने का मामला सदन में उठाया। इस पर राज्य मंत्री गौरव गौतम के जवाब देने से पहले ही कैबिनेट मंत्री रणबीर सिंह गंगवा ने कहा कि वर्तमान में निगम में कार्यरत युवाओं में एससी-बीसी की संख्या उनके निर्धारित कोटे से भी अधिक है। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि भर्तियों में आरक्षण लागू है या नहीं।
45 दिन के लिए रोजगार
अर्जुन चौटाला ने कहा कि मंडियों में फसलों की खरीद के दौरान निगम के जरिये 45 दिनों के लिए युवाओं को रोजगार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि हर मंडी में 5 से 7 युवाओं की नियुक्ति होती है। खरीद प्रक्रिया बंद होने के बाद उन्हें नौकरी से हटा दिया जाता है। अर्जुन ने कहा कि इस तरह की नौकरी को राेजगार नहीं कहा जा सकता। बेहतर हो कि सरकार मंडियाें के लिए इन युवाओं को दूसरे कर्मचारियों की तर्ज पर रखे ताकि उनकी नौकरी ना जाए।