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Haryana: चौ. देवीलाल को याद कर भावुक हुए उपराष्ट्रपति धनखड़, बोले- वह मेरे राजनीतिक शिक्षक

01:41 PM Mar 05, 2025 IST
haryana  चौ  देवीलाल को याद कर भावुक हुए उपराष्ट्रपति धनखड़  बोले  वह मेरे राजनीतिक शिक्षक
छात्राओं को डिग्री देते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़। फोटो स्रोत X/@VPIndia
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सिरसा, 5 मार्च (हप्र/आनंद भार्गव)

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माता हरकी देवी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित दीक्षांत समारोह 'यशस्वी भव' में आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आपसे मेरी पहचान चार दशक से ज्यादा की है। उन्होंने कहा कि वे अभय चौटाला व उनकी पत्नी कांता चौटाला के आभारी हैं कि उन्हें यह सुअवसर मिला है।

उन्होंने कहा कि यहां आना मेरे लिए तीर्थ यात्रा जैसा है। कार्यक्रम में चौ. अभय सिंह चौटाला, कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा, कांता चौटाला, माता हरकी देवी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष मनेंद्र पाल, डा. कुलदीप कौर आनंद, विधायक आदित्य देवीलाल सहित गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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कार्यक्रम में उन्होंने माता हरकी देवी कॉलेज में 360 और जेसीडी विद्यापीठ में 400 स्टूडेंट्स को डिग्रियां प्रदान की। इससे पहले सिरसा वायुसेना केंद्र पर पहुंचने पर धनखड़ व उनकी पत्नी सुदेश धनखड़ तथा कैबिनेटमंत्री रणबीर गंगवा का भाजपा नेता गोबिंद कांडा ने स्वागत किया।

धनखड़ ने चौ. देवीलाल के प्रति श्रद्धाभाव प्रकट करते हुए कहा कि चौ. देवीलाल की धर्मपत्नी की याद में जो संस्था है, मेरे लिए उसका आत्मीय महत्व है। उपराष्टपति ने कहा कि चौ. देवीलाल व्यक्ति नहीं एक सोच थे। उन्होंने भारत की राजनीति को वो करवट दी , जो ऐतिहासिक है। उनकी सोच, उनका दर्शन गांव, गरीब और किसान के लिए सब कुछ समर्पित था। उनका अटूट संकल्प ग्रामीण व्यवस्था पर था।

धनखड़ ने कहा कि मेरी एक दृढ़ मान्यता है कि विकसित भारत आज हमारा सपना नहीं लक्ष्य है, पर हमें याद रखना होगा कि चौ. देवीलाल के बताए रास्ते के माध्यम से गांव और किसान के द्वारा ही इस बहुत बड़े महायज्ञ में पूर्ण आहुति होगी। उन्होंने कहा कि मैं ऐसे महापुरुष को आज नमन करता हूं।

उन्होंने कहा कि मेरी राजनीतिक शिक्षा और दर्शन चौ. देवीलाल के चरणों से शुरू होता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं कोई उनका रिश्तेदार नहीं था, कोई लगाव नहीं था। उनके मन में आई, वो दिन याद है, जब मैने पहली बार उनके दर्शन किए, शरीर से पराक्रमी, शक्ल से ओजस्वी और जब मुझे कहा कि चुनाव लड़ना है। मैने कहा कि प्लीडर हूं।

उन्होंने कहा पी को हटा दो, लीडर बनो। वो शुरूआत उन्होंने की। धनखड़ ने कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य है कि केंद्र में मंत्री रहा। पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहा और आज भारत का उपराष्ट्रपति हूं, इन सबकी जड़ में चौ. देवीलाल का संपूर्ण योगदान है।

उन्होंने कहा कि जब भी जीवन में मेरे सामने शंका होती है, अलग विचार आते हैं तो मैं पूरी तरह से चौ. देवीलाल की शिक्षा दीक्षा की तरफ झुक जाता हूं और किसान और गांव के हित को सर्वोपरि रखता हूं और यहीं मेरी दृढ़ मान्यता है।

उन्होंने दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोंधित करते हुए कहा कि ये दीक्षांत समारोह है, शिक्षांत समारोह नहीं। आपकी शिक्षा जीवन पर्यंत चलेगी। उन्होंने कहा कि गत दशक में जो भारत ने अर्थव्यवस्था में, संस्थागत ढांचे में छलांग लगाई है वो अकल्पनीय है, चमत्कारिक है। जो अर्थव्यवस्था डगमगा रही थी, उसमें इतना स्थायित्व कैसे आ गया। पांचवें पायदान पर है आज के दिन। सदियों तक अंग्रेजों ने हम पर राज किया, हम उनसे आगे निकल गए। जापान और जर्मनी के बाद भारत आज तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। आज के दिन हमारे युवक युवतियों के लिए अपार संभावनाएं हैं।

उन्होंने कहा कि माता हरकी देवी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट को दो दशक होने को आ रहे हैं। इसके लिए चौ. ओमप्रकाश चौटाला साधुवाद के प्रतीक है। बहुत बड़ी सोच है। शिक्षा सबसे बड़ी बदलाव का संकेत है। शिक्षा समानता लाती है, शिक्षा से ही उपर उठा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मेरा जुड़ाव इस संस्था से शुरू हुआ है कभी खत्म नहीं होगा। उन्होंने संस्थान के छात्रों को संसद भवन में आने के लिए आमंत्रित किया।

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