Haryana Rajya Sabha By-Election: हरियाणा के नेताओं की नहीं चली, दिल्ली से तय हुआ रेखा शर्मा का नाम
दिनेश भारद्वाज, ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 9 दिसंबर
Haryana Rajya Sabha By-Election: हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा ने रेखा शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। दो बार राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन रहीं रेखा शर्मा मूल रूप से पंचकूला की रहने वाली हैं। हालांकि महिला आयोग में बतौर सदस्य जाने के बाद से ही वे नई दिल्ली शिफ्ट कर गई थीं। पिछले कई वर्षों से भाजपा में सक्रिय रेखा शर्मा पंचकूला में नगर पार्षद का चुनाव भी लड़ चुकी हैं।
सूत्रों का कहना है कि पार्टी हाईकमान के स्तर पर रेखा शर्मा के नाम का चयन हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब हरियाणा मामलों के प्रभारी हुआ करते थे तो उस समय से रेखा शर्मा पंचकूला की राजनीति में एक्टिव रहीं। उन्होंने विधानसभा चुनावों में भी सक्रिय भूमिका निभाई। वे पहले पंचकूला के सेक्टर-9 में रहती थीं। इसके बाद सेक्टर-12 और फिर जीरकपुर के पीरमुछल्ला स्थित बॉलीवुड हाइट्स में वे फ्लैट में शिफ्ट कर गईं।
उन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य नियुक्त किया गया। बाद में वे महिला आयोग की कार्यकारी चेयरपर्सन भी रहीं। फिर उन्हें चेयरपर्सन बनाया गया। चेयरपर्सन भी वे लगातार दो टर्म रहीं। इसी साल अगस्त में उनका कार्यकाल पूरा हुआ। अब पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया है। नायब सरकार में विकास एवं पंचायत मंत्री व इसराना विधायक कृष्ण लाल पंवार के इस्तीफे के बाद राज्यसभा की एक सीट पर उपचुनाव हो रहा है।
इस सीट का कार्यकाल करीब चार वर्षों का रहेगा। रेखा शर्मा की उम्मीदवारी का ऐलान पार्टी नेतृत्व की ओर से सोमवार को कर दिया गया। राज्यसभा उपचुनाव में नामांकन-पत्र दाखिल करवाने के लिए मंगलवार को आखिरी तारीख है। सीएम नायब सिंह सैनी की मौजूदगी में रेखा शर्मा मंगलवार को अपना नामांकन-पत्र दाखिल करेंगी। इस दौरान नायब सरकार के कई मंत्री व विधायक भी मौजूद रहेंगे। रेखा शर्मा का बिना किसी विरोध के राज्यसभा के लिए चुना जाना तय है।
नब्बे सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में भाजपा के खुद के 48 विधायक हैं। तीन निर्दलीय विधायकों – हिसार से सावित्री जिंदल, गन्नौर से देवेंद्र कादियान और बहादुरगढ़ से राजेश जून ने भी सरकार काे समर्थन किया हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहले ही कह चुके हैं कि भाजपा के पास इस सीट के लिए पर्याप्त संख्या बल है। ऐसे में कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। नामांकन-पत्रों की छंटनी बुधवार को होगी और 13 दिसंबर नामांकन-पत्र वापसी का आखिरी दिन है।
अब चूंकि रेखा शर्मा के मुकाबले दूसरा कोई उम्मीदवार नहीं होगा। ऐसे में 13 दिसंबर को नामांकन-पत्र वापसी का समय पूरा होने के बाद उन्हें निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया जाएगा। इसी दिन उन्हें राज्यसभा सांसद के लिए सर्टिफिकेट भी उपचुनाव के लिए नियुक्त किए किए रिटर्निंग अधिकारी की ओर से दे दिया जाएगा। कृष्णलाल पंवार को भाजपा ने इसराना से विधानसभा चुनाव लड़वाया था। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने 14 अक्त्ूबर को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था।
पहली बार दो महिलाएं राज्यसभा में
हरियाणा मंे यह पहला मौका है जब दो महिलाएं राज्यसभा होंगी। लोकसभा चुनावों में रोहतक पार्लियामेंट से जीत हासिल करने के बाद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी इस्तीफा दे दिया था। उनकी सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से आईं पूर्व मंत्री किरण चौधरी को राज्यसभा भेजा। अब रेखा शर्मा भी राज्यसभा जाएंगी। इससे पहले हरियाणा से एक ही टर्म में दो महिलाएं राज्यसभा नहीं गईं।
कई दिग्गजों को झटका
राज्यसभा की इस एक सीट के लिए प्रदेश भाजपा के कई दिग्गज नेता लॉबिंग कर रहे थे। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली का क्योंकि इस बार सिटिंग विधायक होते हुए टिकट कट गया था। ऐसे में उन्हें राज्यसभा जाने की उम्मीद थी। लेकिन पार्टी ने उन्हें इस बार भी मौका नहीं दिया। करनाल के पूर्व सांसद संजय भाटिया भी राज्यसभा जाना चाहते थे लेकिन उनकी भी बात नहीं बन पाई। सिरसा की पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल तथा हरियाणा के पूर्व मंत्री डॉ. बनवारी लाल व पटौदी के पूर्व विधायक सत्यप्रकाश जरावता एससी कोटे से राज्यसभा जाने की जुगत में थे। लेकिन पार्टी ने उन्हें भी मौका नहीं दिया है।
फिर रह गए कुलदीप बिश्नोई
पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई को इस बार राज्यसभा की टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी। वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा व पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित कई केंद्रीय नेताओं से मुलाकात भी कर चुके थे, लेकिन पार्टी ने कुलदीप के प्रयासों पर भी पानी फेर दिया। कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई भी अपने दादा व भूतपूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल की परंपरागत सीट आदमपुर से इस बार चुनाव हार गए। वर्षों के बाद यह पहला मौका है जब भजनलाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई और उनके परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी सदन में नहीं है।