Haryana Politics: इनेलो-बसपा ने विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन की घोषणा की
चंडीगढ़, 11 जुलाई (भाषा)
Haryana Politics: इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने इस साल के अंत में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अपने पूर्व सहयोगी दल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से फिर से हाथ मिलाने का फैसला किया है। दोनों दलों के नेताओं ने बृहस्पतिवार को यह घोषणा की।
दोनों दलों के बीच हुए सीटों के बंटवारे के तहत हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों में से बसपा 37 पर चुनाव लड़ेगी जबकि बाकी की सीटों पर इनेलो चुनाव लड़ेगी।
आज चंडीगढ़ में आयोजित प्रेसवार्ता में, इनेलो और बसपा के बीच गठबंधन पर आधिकारिक रूप से मुहर लगाई गई।
यह गठबंधन किसान, कमेरे एवं पिछड़े वर्ग के हकों की रक्षा और उन्हें मजबूत करने के उद्देश्य से बसपा सुप्रीमो परम आदरणीय बहन कुमारी @Mayawati जी और इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी ओम…
— Abhay Singh Chautala (@AbhaySChautala) July 11, 2024
चंडीगढ़ के बाहरी इलाके नयागांव में बसपा के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए इनेलो नेता अभय चौटाला ने कहा कि यह गठबंधन स्वार्थी हितों पर आधारित नहीं है बल्कि लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
1. बहुजन समाज पार्टी व इण्डियन नेशनल लोकदल मिलकर हरियाणा में होने वाले विधानसभा आमचुनाव में वहाँ की जनविरोधी पार्टियों को हराकर अपने नये गठबन्धन की सरकार बनाने के संकल्प के साथ लड़ेंगे, जिसकी घोषणा मेरे पूरे आशीर्वाद के साथ आज चण्डीगढ़ में संयुक्त प्रेसवार्ता में की गयी। 1/3
— Mayawati (@Mayawati) July 11, 2024
उन्होंने कहा कि बसपा और इनेलो सोच रही हैं कि गरीबों को न्याय कैसे मिलेगा और कमजोर वर्ग कैसे सशक्त होगा। चौटाला ने कहा, ‘‘हरियाणा में हमने आगामी विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला किया है। आज, आम जनता ने भाजपा को सत्ता से बेदखल करने और कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने का मन बना लिया है जिसने पहले 10 साल तक राज्य को लूटा।''
बसपा के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद ने कहा कि हाल में बसपा सुप्रीमो मायावती और चौटाला ने गठबंधन के संबंध में एक लंबी बैठक की थी। उन्होंने कहा, ‘‘उस बैठक में यह तय किया गया कि हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों में से बसपा 37 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।''
फरवरी 2019 में बसपा ने इनेलो के साथ अपना करीब नौ माह पुराना गठबंधन तोड़ दिया था। इनेलो उस वक्त हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल था। चौटाला परिवार में फूट के बीच यह कदम उठाया गया था।