मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

सोने-चांदी का हरियाणा

11:39 AM Aug 08, 2022 IST

इंग्लैंड के बर्मिंघम में चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों में हरियाणा के खिलाड़ियों ने पदकों की जैसी बरसात की है उससे सारा देश आह्लादित है। अक्सर कहा जाता है कि इस धरती में ऐसा क्या है जो इसके खिलाड़ी ओलंपिक, एशियाई खेलों, विश्व-स्पर्धाओं व राष्ट्रमंडल खेलों के जरिये देश की झोली पदक से भरते हैं। कृषि संस्कृति के प्रदेश में अच्छी आबोहवा, खानपान व जूझने के जज्बे ने पदकों की चमक बढ़ाई है। सोने-चांदी के पदकों हेतु लालायित खिलाड़ियों के तेवर में आक्रामकता साफ नजर आई। उन्होंने जहां मैट पर खूब दांव खेले तो रिंग में जमकर वजनदार मुक्के बरसा कर प्रतिपक्षियों को चित किया। रविवार की शाम तक हरियाणा के खिलाड़ी नौ स्वर्ण पदकों समेत 16 पदक देश के नाम कर चुके थे। कुश्ती में तो खिलाड़ियों ने गोल्ड-कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों का रिकॉर्ड तोड़कर छह गोल्ड पदक जीते। दो फीसदी आबादी वाले हरियाणा के खिलाड़ी चालीस फीसदी के करीब पदक ले आयें तो आश्चर्य मिश्रित खुशी होती है। टोक्यो ओलंपिक खेलों के दौरान देश तब भी झूमा था जब एकमात्र स्वर्ण हरियाणा के नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में जीता था। कमोबेश यही स्थिति पैरा ओलंपिक में भी रही है। तमाम विश्व चैंपियनशिपों में भी हरियाणा के खिलाड़ी सोने-चांदी के पदक जीतते रहते हैं। दरअसल, जीत के जुनून का जज्बा हरियाणा के खिलाड़ियों की रगों में दौड़ने लगा है। राजाश्रय में ऐसी खेल संस्कृति जन्मी जो एक स्वस्थ स्पर्धा को जन्म देती है।

Advertisement

अप्रत्याशित कामयाबी को देखकर एक बार प्रधानमंत्री ने एक खिलाड़ी से पूछा कि हरियाणा की धरती में ऐसा क्या है जो इतने विजेता खिलाड़ी सामने आते हैं। खिलाड़ी ने सहज भाव में कह दिया— ‘देसां मा देस हरियाणा, जहां दूध-दही का खाणा।’ बहरहाल, जीवट के जज्बे व शाकाहारी प्रांत में आज जो खिलाड़ियों की नर्सरी फल-फूल रही है उसमें राज्य सरकारों की नीतियों का भी हाथ रहा है। विगत में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के दौरान भी खेल व खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के लिये जो रचनात्मक नीति क्रियान्वित की गई, उसके भी सार्थक परिणाम सामने आये। सरकारों ने खिलाड़ियों को नकद इनाम व नौकरी में आरक्षण तथा प्लाट आदि अन्य सुविधाएं दीं, उसने खिलाड़ियों में जोश भरा। मनोहर लाल खट्टर सरकार ने इस पहल को और समृद्ध किया। राज्य में खेल सुविधाओं का सुनियोजित तरीके से विकास किया गया। खेलों की नवीनतम तकनीकें व प्रशिक्षण की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। सुखद यह कि विश्व स्पर्धाओं में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के लिये प्रतियोगिता से पहले नकद राशि उपलब्ध करायी गई। जीतने पर तो भारी-भरकम राशि का पुरस्कार अलग आकर्षण रहता है। नीरज चोपड़ा को ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने पर मिली छह करोड़ की राशि देश में सबसे बड़ी खेल प्रोत्साहन राशि होगी। पैरा ओलंपिक खिलाड़ियों को भी आकर्षक राशि दी गई। यहां तक कि चौथे नंबर पर आने वाले खिलाड़ियों को भी नकद राशि दी गई। जिसे देखकर देश के अन्य राज्यों के खिलाड़ी अक्सर सोचते हैं- काश, हम भी हरियाणा के लिये खेलते!

Advertisement
Advertisement
Tags :
सोने-चांदीहरियाणा,