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Haryana News : प्रयास हुए सफल तो नाम मिला त्रिवेणी बाबा

10:23 AM Dec 19, 2024 IST
झज्जर की एक काॅलोनी में पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों के साथ मिलकर पौधरोपण करते त्रिवेणी बाबा।-हप्र

प्रथम शर्मा/हप्र
झज्जर, 18 दिसंबर
पिछले दिनों एनसीआर में वायु प्रदूषण ने इतना जहर घोला कि हर व्यक्ति के मुंह से एक ही बात निकली कि बगैर पर्यावरण संरक्षण के इस जहरीली वायु से निजात पाना मुश्किल हीं नहीं, नामुमकिन है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों का ध्यान कितना है कि संकल्प तो पेड़ लगाने और पालने का हर कोई लेता है, लेकिन उसके सार्थक परिणाम आते-आते उस व्यक्ति के प्रयास दम तोड़ देते हैं, लेकिन हरियाणा में एक ऐसी हस्ती भी है जिसने न सिर्फ प्रदेशभर में पर्यावरण की अलख जगाई बल्कि अपने सफल प्रयासों से सत्यवान से त्रिवेणी बाबा बन गए। मूलरूप से हरियाणा के भिवानी जिले के गांव बीसलवास के सत्यवान ने झज्जर में भी पर्यावरण बचाने के लिए यहां की सिंचाई भवन काॅलोनी, आईटीआई, पुलिस लाइन, जेल व अस्पताल आदि में भी पर्यावरण बचाने के लिए न सिर्फ पेड़ लगाए बल्कि आमजन को उन्हें पालने का संकल्प दिलवाने के साथ-साथ उनके बीच छायादार और फलदार पेड़ भी वितरित किए।
बाबा त्रिवेणी पर पर्यावरण बचाने का जुनून इस कदर सवार है कि पिछले 30 साल में ऐसा ही कोई दिन रहा होगा जब उन्होंने कम से कम एक पौधा न लगाया हो। त्रिवेणी बाबा ने पिछले ढाई दशक से स्वयं पौधरोपण भी किया और इस कार्यक्रम को संस्कारों, रीति-रिवाजों एवं रस्मों से जोड़ने का महत्वपूर्ण काम भी किया। वर्तमान में लोग उनके इन कार्यक्रमों से प्रभावित होते हुए ब्याह-शादियों की रस्में भी पौधरोपण के साथ पूरी करने लगे हैं। त्रिवेणी बाबा ने जन्म और मरण जैसे संस्कारों को भी पौधरोपण से जोड़ने की मुहिम शुरू कर रखी है। उनके प्रयास से आज हरियाणा के युवा, बुजुर्ग, महिला, गरीब, अमीर सभी को अपने जीवन में एक त्रिवेणी लगाने की प्रेरणा मिली है। यहां ‘दैनिक ट्रिब्यून’ के साथ पर्यावरण के प्रति अपने जुनून और संकल्प को साझा करते हुए त्रिवेणी बाबा ने बताया कि उन्होंने 30 साल में हरियाणा में कोई भी ऐसा जिला और तहसील नहीं छोड़े जहां उन्होंने फलदार और छायादार पेड़ न लगाए हों।

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महापुरुषों, स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों की स्मृति में लगाई त्रिवेणी

समाज के प्रति आदर्श स्थापित करने की प्रेरणा बन चुके त्रिवेणी बाबा प्रदेश के सार्वजनिक स्थानों पर पौधरोपण करते रहे हैं और लोगों को इसके लिए प्रेरित करते रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में 500 महापुरुषों, स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों की स्मृति में विभिन्न जिलों में न सिर्फ त्रिवेणी लगाई है बल्कि उन्हें पालने का भी संकल्प लेने के साथ-साथ आमजन को भी संकल्प दिलाया है। एकता और अखंडता का प्रतीक त्रिवेणी रोपण कार्यक्रम अभी तक देश के 17 राज्यों में चलाया जा चुका है। उनका लक्ष्य एक करोड़ पौधे अौर लाख त्रिवेणी लगाने का है।

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