Haryana News : मौसम की बेरुखी : सरसों की खेती में सिंचाई के साथ दोबारा बिजाई के खर्च की मार
कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 30 नवंबर
नवंबर माह में प्रदेश में बारिश न होने के कारण तापमान भी सामान्य से करीब तीन डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा जिसका सीधा असर सरसों की खेती करने वाले किसानों पर पड़ा। सरसों की खेती करने वाले किसानों को न सिर्फ एक सिंचाई के लिए करीब दो हजार रुपये प्रति एकड़ और कई जगह दोबारा बिजाई के लिए करीब पांच से सात हजार रुपये प्रति एकड़ का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ा है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल नवंबर माह में पंचकूला में 0.2 और हिसार में 0.1 मिलीमीटर बारिश हुई। इसके अलावा प्रदेश के किसी भी जिले में बारिश नहीं हुई। इसके कारण तापमान में गिरावट नहीं आई और नवंबर माह में प्रदेश के लगभग हर जिलों में तापमान सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। इसके कारण सरसों की बिजाई के बाद होने वाला फुटाव (जर्मिनेशन) नहीं हो पाया। इसके कारण काफी जगह किसानों को सरसों की फिर से बिजाई करनी पड़ी। बारिश न होने के कारण सिंचाई का भी अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ा।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग के अध्यक्ष प्रोफसर मदन खीचड़ ने बताया कि नवंबर माह में अक्सर बारिश कम होती है। हालांकि पिछले साल अच्छी बारिश हुई थी लेकिन इस बार पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय न होने के कारण बारिश नहीं हो पाई। इसके कारण तापमान भी सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा, जिसका सीधा असर सरसों और गेहूं की फसल पर पड़ा है। सरसों की बिजाई 25 सितंबर के बाद शुरू हो जाती है और काफी किसानों ने इसकी बिजाई कर दी। इसके बाद बारिश न होने व तापमान न गिरने के कारण फुटाव नहीं हो पाया जिसके कारण किसानों को फिर से बिजाई करनी पड़ी। उन्होंने बताया कि गेहूं की खेती करने वाले किसान अक्सर सिंचाई पर ही निर्भर रहते हैं लेकिन तापमान सामान्य से ज्यादा रहने के कारण गेहूं पर भी विपरीत असर हुआ है। बारिश न होने के कारण सिंचाई भी करनी पड़ी।