haryana news : फतेहाबाद ने दिखाई राह, पंचकूला और फरीदाबाद बने चुनौती
कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 23 नवंबर
दीपावली और नवंबर के महीने में प्रदूषण और स्मॉग को लेकर अक्सर किसानों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, क्योंकि वे धान की कटाई के बाद फसल अवशेष जलाते हैं। लेकिन हरियाणा के फतेहाबाद जिले के किसानों ने यह साबित कर दिया है कि जागरूकता और सही प्रयासों से इस समस्या को सुलझाया जा सकता है। चार साल पहले फसल अवशेष जलाने के मामलों में सबसे आगे रहने वाला फतेहाबाद, आज 92% की कमी के साथ हरियाणा का सबसे समझदार जिला बन गया है। कृषि विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2021 में पूरे हरियाणा में फसल अवशेष जलाने के 6,733 मामले सामने आए थे। इनमें से 1,445 मामले फतेहाबाद जिले के थे, जो इसे इस समस्या में शीर्ष पर रखते थे। लेकिन 2024 में यह संख्या घटकर सिर्फ 123 रह गई।
जिलेवार प्रगति और चुनौतियां
हरियाणा में पिछले चार वर्षों में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। 2021 से 2024 के बीच आंकड़ों के अनुसार, 82% की समग्र कमी दर्ज की गई है। हालांकि, कुछ जिलों ने जबरदस्त सुधार दिखाया है, वहीं कुछ में इस समस्या का बढ़ना चिंता का विषय है।
जागरूकता और प्रबंधन बना सफलता का आधार
फतेहाबाद की इस उपलब्धि के पीछे कृषि विभाग और राज्य सरकार के विशेष प्रयासों का योगदान रहा है। किसानों को जागरूक करने के लिए नियमित अभियान चलाए गए और फसल अवशेष प्रबंधन के लिए आधुनिक उपकरण जैसे स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर, और सुपर एसएमएस पर सब्सिडी दी गई। किसानों ने इन तकनीकों को अपनाया और फसल अवशेष जलाने के बजाय अन्य तरीकों से इसे उपयोग में लिया।