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Haryana News : यमुनानगर में भी उठी याशी कंपनी के खिलाफ जांच की मांग

10:33 AM Dec 02, 2024 IST
haryana news   यमुनानगर में भी उठी याशी कंपनी के खिलाफ जांच की मांग
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यमुनानगर,1 दिसंबर (हप्र)
सिरसा जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में याशी कंपनी के गलत सर्वे के मामले में कैबिनेट मंत्री अनिल विज द्वारा एडीसी सिरसा की अगुवाई में एसआईटी बनाने के आदेश देने के बाद प्रदेश के अन्य जिलों से भी याशी कंपनी के गलत सर्वे के जांच व कार्रवाई की मांग उठने लगी है। विभिन्न संगठनों ने इस सर्वे को भी रद्द किए जाने की मांग की है।
समाज हितकारी संगठन के प्रधान रोशन लाल शर्मा का कहना है कि वास्तव में कंपनी के अस्थाई कर्मचारियों ने मौके पर जाकर काम नहीं किया। किसी एक गली अथवा मोहल्ले में पहुंचकर किसी एक दो व्यक्ति से पूछकर रिपोर्ट में नाम भरने शुरू कर दिए। किराएदार को मकान मालिक और मकान मालिक पिता को छोड़ बेटे को मकान मालिक, पत्नी की जगह पति को मकान मालिक बना दिया गया। जिसके चलते प्रदेश के लाखों लोग परेशान हुए। इस गलती को ठीक करवाने के लिए लोगों को भारी भरकम राशि देनी पड़ी, दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े।
उन्होंने कहा कि प्रदेश भर से कंपनी के खिलाफ जांच व कार्रवाई की मांग उठी, लेकिन इस दौरान भी कंपनी को रोक के बावजूद पेमेंट की जाती रही। इसी के चलते हरियाणा के विभिन्न मंत्रियों, विधायकों को कई जगह विरोध का सामना करना पड़ा।
बताया जाता है कि लोकायुक्त का नोटिस मिलने के बाद सरकार स्तर पर नप, नपा और निगम में सर्वे किया गया था। शहरी क्षेत्र में प्रॉपर्टी आईडी सर्वे करने में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। सर्वे ठीक से न होने के कारण शहरों में आधे से अधिक लोग परेशान हुए। हरियाणा में शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने प्रदेशभर में शहरी क्षेत्र की प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे करने वाली याशी कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर करोड़ों रुपये के भुगतान पर रोक लगा दी थी। निदेशालय ने साथ ही कंपनी की सिक्योरिटी राशि जब्त कर टेंडर एग्रीमेंट भी रद्द कर दिया था। टेंडर वर्क ऑर्डर की शर्त के अंतर्गत याशी कंपनी द्वारा किए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की सभी नगर निगम के आयुक्त, नगर परिषदों के ईओ व नगर पालिकाओं के सचिवों को भौतिक सत्यापन करना था। सर्वे कार्य का मौका वेरिफिकेशन सही पाए जाने पर ही इन अधिकारियों को साइन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करने थे। तभी भुगतान होना था, लेकिन सभी 88 शहरों के अधिकारियों ने अपनी-अपनी वेरिफिकेशन रिपोर्ट में सर्वे को शत-प्रतिशत सही बताया और कंपनी को 57.55 करोड़ रुपये की पेमेंट करा दी, जबकि धरातल पर सर्वे सही नहीं निकला।

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