Haryana News : ‘शहरों की सरकार’ को मिलेंगे अधिकार...स्थानीय निकायों का होगा खुद का लैंड बैंक
चंडीगढ़, 19 अप्रैल (ट्रिन्यू)
हरियाणा के शहरी स्थानीय निकायों–नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं को सरकार और पावरफुल बनाएगी। निकायों को कई तरह के वित्तीय अधिकार दिए जाएंगे। साथ ही, निकायों के आय के स्रोत बढ़ाने पर भी सरकार का जोर रहेगा। पूर्व की मनोहर सरकार की तर्ज पर अब नायब सरकार ने भी निकायों की स्वतंत्रता को बढ़ाने की दिशा में कदम आगे बढ़ा दिया है।
प्रदेश के सभी निकायों का खुद का लैंड बैंक होगा। लैंड बैंक की जमीन विकास प्रोजेक्ट्स के काम आएगी। इसी तरह से निकायों की सरप्लस जमीन की ऑक्शन करने की भी तैयारी है। इसके लिए पॉलिसी बनाई जा रही है। कई निकायों के लिए प्राइम लैंड है। ऐसी जमीन पर निकाय अपने खुद के प्रोजेक्ट शुरू कर सकेंगे। शॉपिंग कॉम्पलेक्स, मार्केट, कम्युनिटी सेंटर सहित दूसरी सुविधाएं यहां विकसित की जा सकेंगी। सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) की ओर से इस संदर्भ में विभाग के आला अधिकारियों को ड्रॉफ्ट बनाने को कहा गया है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी 24 अप्रैल को चंडीगढ़ में होने वाली समीक्षा बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। प्रदेश स्तर पर भी ई-भूमि पोर्टल के जरिये जमीन इकट्ठी करके सरकार लैंड बैंक बना रही है। इसका यह भी फायदा होगा कि किसी प्रोजेक्ट के लिए किसी भी विभाग या प्राइवेट जमीन लेने की सूरत में सरकार भूमि मालिक को लैंड बैंक से बदलने में जमीन देने की पेशकश कर सकेगी।
जमीन का होगा इस्तेमाल
प्रदेश के कई नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं के पास शहरों में काफी जमीन है। कई निकायों के पास प्राइम लैंड है, जिसकी कीमत भी काफी अधिक है। कई निकायों के पास कृषि योग्य भूमि भी है। सरकार इस तरह की सभी जमीनों का उपयोग करवाने की कोशिश में है ताकि निकायों के आय के स्रोत बढ़ सकें। जमीन खाली पड़ी रहने की वजह से उस पर कब्जे होने का डर भी रहता है। कई शहरों में लोगों ने सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण भी किया हुआ है।
मिलेंगे ये अधिकार
नायब सरकार 2025-26 के बजट में स्थानीय निकायों को कर एवं शुल्क निर्धारण की स्वतंत्रता देने का फैसला कर चुकी है। इसके लिए मुख्यालय स्तर पर पॉलिसी बनाई जा रही है। प्रॉपर्टी टैक्स, डेवलेपमेंट टैक्स एवं चार्ज, कचरा शुल्क, विज्ञापन शुल्क, पानी व सीवर टैक्स सहित कई तरह के शुल्कों के निर्धारण के अधिकार निकायों को दिए जा सकते हैं। इसमें शर्त यह रहेगी कि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम व अधिकतम दरों के बीच में कहीं भी निकाय अपने स्तर पर इन कर व शुल्कों को तय कर सकेंगे।
प्रोजेक्ट्स बना सकेंगे निकाय
‘सरकार पहले निकायों से ही रिपोर्ट लेगी ताकि खाली पड़ी जमीन के उपयोग को लेकर स्थानीय स्तर पर ही प्रोजेक्ट बनाकर मुख्यालय में भेजा जा सके। शहरों से आनी वाली रिपोर्ट का सरकार अध्ययन करवाएगी। पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर भी जमीन में प्रोजेक्ट बनाए जा सकेंगे। कई शहरों में ऐसी जगह पर जमीन उपलब्ध है, जहां शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, कम्युनिटी सेंटर आदि सुविधाएं खड़ी करके निकाय अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
प्रॉपर्टी के ऑक्शन के जरिये भी मजबूत होगी निकायों की आर्थिक स्थिति
शहरी स्थानीय निकायों को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए विशेष नीति बनाई जा रही है। टैक्स व शुल्कों के निर्धारण के अधिकार निकायों को देने का फैसला सरकार बजट में कर चुकी है। इसके लिए भी पॉलिसी तय की जा रही है। निकायों के पास उपलब्ध जमीन का सर्वे होगा और इसका लैंड बैंक बनेगा। इस जमीन का उपयोग विकास परियोजनाओं व अन्य कार्यों के लिए किया जा सकेगा।
विपुल गोयल, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री