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Haryana News: हरियाणा के मुख्य सचिव से मिले 13 देशों के 28 प्रतिनिधि

03:01 PM Apr 17, 2025 IST

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 17 अप्रैल

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Haryana News: विधायी प्रारूपण (लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग) से संबंधित 36वें अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे 13 देशों के 28 प्रतिनिधियों ने आज यहां हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी से मुलाकात की।

कोटे डी आइवर, इक्वाडोर, होंडुरास, ग्वाटेमाला, श्रीलंका, मंगोलिया, म्यांमार, नाइजर, नाइजीरिया, मालदीव, तंजानिया, जाम्बिया और जिम्बाब्वे जैसे देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिभागी लोकसभा के संसदीय लोकतंत्र अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (PRIDE) के सहयोग से आयोजित पांच दिवसीय कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।

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अपने संबोधन में मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने समावेशी कानून बनाने की प्रक्रियाओं के महत्व पर बल देते हुए कहा, "किसी भी कानून की रूपरेखा सभी हितधारकों की आवाज सुनकर ही प्रभावी ढंग से तैयार की जा सकती है।"

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कानून की प्रासंगिकता और प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए उसमें समाज की आकांक्षाओं, भावनाओं और जरूरतें प्रतिबिंबित होनी चाहिए। रस्तोगी ने कहा कि भारतीय संविधान सावधानीपूर्वक तैयार किया गया दस्तावेज है और यह कानून बनाने के लिए एक व्यापक रूपरेखा और स्पष्ट प्रक्रिया प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान एक मार्गदर्शक प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करता है। इसमें सुनिर्धारित प्रक्रियाएं यह सुनिश्चित करती हैं कि कानून मजबूत होने के साथ-साथ अनुकूलनीय भी हों। उन्होंने भारत में हरियाणा की विशिष्ट स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि हरियाणा देश में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय और कर संग्रह वाला एक छोटा लेकिन प्रगतिशील राज्य है।

इस अवसर पर मुख्य सचिव ने व्यक्तिगत रूप से सभी विदेशी प्रतिनिधियों को श्रीमद्भगवद्गीता की एक-एक प्रति भी भेंट की। उन्होंने कहा कि महाभारत एक ऐसी कथा है, जो किसी की भी कल्पना से परे है, जिसमें कर्म का महान सिद्धांत निहित है। जीवन में ऐसे हालात आते हैं, जब व्यक्ति को सांत्वना और सहारे की जरूरत होती है। ऐसे समय में श्रीमद्भगवद्गीता हमारे लिए शक्ति-स्तंभ का काम करती है।

मुख्य सचिव ने कहा कि जब आप अपने देशों को लौटेंगे तो आप अपने साथ न केवल पेशेवर अंतर्दृष्टि बल्कि हमारी परंपराओं की गर्मजोशी और सहयोग की भावना भी ले जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि 16 अप्रैल से 21 अप्रैल तक चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों के बीच ज्ञान को साझा करना और विधायी मसौदा तैयार करने के कौशल को बढ़ाना है। इसमें उन्नत प्रारूपण तकनीक, तुलनात्मक विधायी रूपरेखा और विधायी प्रक्रियाओं में प्रौद्योगिकी के एकीकरण से संबंधित सत्र शामिल हैं।

इक्वाडोर के वित्तीय नीति और विनियमन निकाय के निदेशक एलेजांद्रो निकोलस वीसन नेमलसेफ ने सभी प्रतिनिधियों की मेजबानी के लिए मुख्य सचिव का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि यहां मिले प्रशिक्षण ने उन्हें न केवल अधिक कुशल पेशेवर बनाया है, बल्कि बेहतर इंसान भी बनाया है। उन्होंने कहा कि भारत की मूल ताकत उसके लोगों में निहित है। भारत के लोग बेहद प्यार करने वाले और गर्मजोशी से भरे हैं और भारत आना उनके लिए एक शानदार अनुभव रहा है।

केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय में विधायी विभाग के पूर्व सचिव और पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. के.एन. चतुर्वेदी ने इस अवसर पर विदेशी प्रतिनिधियों के लिए एक महीने के पाठ्यक्रम का संक्षिप्त विवरण दिया।

इस अवसर पर उद्योग और वाणिज्य विभाग के प्रधान सचिव डी. सुरेश, कार्मिक, प्रशिक्षण और संसदीय कार्य विभाग के विशेष सचिव आदित्य दहिया और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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