Haryana News : बिना डीएपी खाद के खेती की विधि अपनायें किसान
यमुनानगर, 8 दिसंबर (हप्र)
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में किसानों के साथ बैठक की। उन्होंने बैठक के दौरान किसानों को प्रदीप काम्बोज द्वारा अपनाई गई बिना डीएपी खाद के खेती करने की विधि का प्रयोग करने के लिए जागरूक किया। कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि प्रदीप कांबोज धान के अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर गेहूं की खेती कर रहे हैं, जिससे डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने यूरिया सहित रासायनिक उर्वरकों का उपयोग काफी कम कर दिया है, क्योंकि धान के अवशेष से मिट्टी को पर्याप्त पोषण मिलता है, और बिना डीएपी के भी अच्छी पैदावार हो जाती है। अब वे महंगे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर हुए बिना अच्छी फसल ले रहे है, जो लागत में बचत और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार का उदाहरण है।
इस मौके पर किसान यूनियन के जिला प्रधान संजु गुंदयानी, जिला महासचिव गुरबीर सिंह, किसान नेता हरपाल सिंह सुढल, रिखी राम, माम चंद, राजेश, कृष्ण पाल, महिपाल सहित अन्य किसान नेता उपस्थित रहे।
खेतों में लगे बिजली टावरों का मिले मुआवजा : किसान
मंत्री ने किसान संघ के प्रतिनिधियों से बातचीत की। किसान संघ के प्रतिनिधियों ने कृषि मंत्री को अपनी दो समस्याओं से अवगत करवाया। किसान संघ के प्रतिनिधियों ने किसानों की भूमि पर जो टावर लगे हैं व जमीन के ऊपर से बिजली की तारें गुजर रही हैं। उनके मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की। इसके अलावा नेशनल हाईवे व दादूपुर नलवी पर जो जमीन एक्वायर की गई है उनकी सरकार द्वारा निर्धारित तय राशि शीघ्र दिलवाने की मांग की। कृषि मंत्री ने किसानों को आश्वासन दिया कि वह मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को इन मांगों से अवगत करवाकर शीघ्र ही इसका हल करेंगे। कृषि मंत्री ने किसानों को उनकी एक और समस्या का हल निकालते हुए कहा कि वह 28 गांवों की सूची तैयार कर लें ताकि उन गांवों की सूची सरस्वती शुगर मिल में पर्ची के लिए दी जा सके ताकि गन्ने की फसल का शीघ्र उठान हो सकें।
ज्यादा लंबे आंदोलन से विकास बाधित
कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि सभी किसानों को अपने-अपने प्रदेशों के मुख्यमंत्री से मिलकर समस्याओं का समाधान करवाना चाहिए। यमुनानगर में मीडिया से बातचीत करते हुए कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि कहीं भी लंबा आंदोलन चलता है तो वहां विकास बाधित होता है, इंडस्ट्री शिफ्ट हो जाती है। किसानों को चाहिए कि वह पंजाब सरकार से और पंजाब के मुख्यमंत्री से बातचीत करके अपनी समस्याओं का समाधान निकलवाए।