Haryana News-अपनी-अपनी खाल बचाने में जुटे अधिकारी
जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 11 मार्च
जींद जिले की जिस कथित समाजसेविका को जींद के महिला एवं बाल विकास विभाग ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सीएम नायब सैनी के हाथों सम्मानित करवा दिया, उसे इस साल 26 जनवरी को शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा के हाथों सम्मानित करवाए जाने की सिफारिश भी जींद जिला प्रशासन ने नहीं की थी। इसी बीच जींद में महिला एवं बाल विकास विभाग के संबंधित अधिकारी सीएम के आदेशों पर शुरू होने जा रही जांच में अपनी खाल बचाने में लग गए हैं।
मामले पर बवाल होने के बाद सीएम नायब सैनी ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उच्च स्तरीय जांच शुरू होने से पहले ही जींद में महिला एवं बाल विकास विभाग के इस मामले से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने-अपने बचाव के लिए जमीन तैयार करना और हाथ-पांव मारना शुरू कर दिया है। इसके लिए अब एक-एक कागज तलाशा जा रहा है, जो मामले में संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों की खाल बचाने में मदद कर सके।
मामले में यह जानकारी सामने आई है कि इस महिला को इस साल 26 जनवरी को जींद के एकलव्य स्टेडियम में हुए गणतंत्र दिवस समारोह में शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा के हाथों सम्मानित किए जाने के लिए एक आवेदन जींद के जिला प्रशासन को मिला था। उसका आवेदन मिलने के बाद जिला प्रशासन ने पुलिस से वेरिफिकेशन करवाई।
पुलिस वेरिफिकेशन में यह बात सामने आई थी कि इस कथित समाज सेविका के खिलाफ कुछ मामले दर्ज हैं, और वह एक मामले के सिलसिले में एक महीने से भी ज्यादा समय तक जेल की हवा खा चुकी है। पुलिस की इस वेरिफिकेशन के बाद इस कथित समाजसेविका का नाम 26 जनवरी को शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा के हाथों सम्मानित होने वालों की सूची में शामिल नहीं किया गया था। हैरानी की बात है कि उसी कथित समाजसेविका को 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सीएम नायब सैनी के हाथों सम्मानित करवा दिया गया।
विवादों से पुराना नाता
जींद का महिला एवं बाल विकास विभाग पहली बार विवादों और सुर्खियों में आया हो ऐसा नहीं है। विवादों से जींद के महिला एवं बाल विकास विभाग का बहुत पुराना नाता है। कुछ समय पहले जींद के महिला एवं बाल विकास विभाग में ही 36 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना में किया गया था। इसमें प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत महिलाओं के फर्जी खाते खोलकर उनमें पैसे डाले गए और पैसे निकलवा लिए गए।
इस मामले की जांच एसआईटी ने की थी और कुछ लोगों पर एफआईआर भी दर्ज हुई थी। जींद महिला एवं बाल विकास विभाग की तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी की पेंशन आदि रोकने की कार्रवाई भी की गई थी। इससे पहले जींद में महिला एवं बाल विकास विभाग के जरिए ही माइक्रो इंश्योरेंस योजना के तहत भी करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ था। इसमें कई लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई थी।