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Haryana Missing Graph Increases : हरियाणा में गुमशुदगी और अपहरण के मामलों में बढ़ोतरी ने बढ़ाई चिंता, रोजाना 45 लोग हो रहे लापता

01:11 PM May 15, 2025 IST
haryana missing graph increases   हरियाणा में गुमशुदगी और अपहरण के मामलों में बढ़ोतरी ने बढ़ाई चिंता  रोजाना 45 लोग हो रहे लापता
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दिनेश भारद्वाज/चंडीगढ़, 15 मई (ट्रिब्यून न्यूज सर्विस)

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Haryana Missing Graph Increases : हरियाणा में रोजाना 45 से अधिक लोग लापता हो रहे हैं। यह वह आंकड़ा है, जो पुलिस रिकार्ड में दर्ज है। यानी परिजनों द्वारा अपने परिवार के सदस्य पर गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज करवाने वाला आंकड़ा ही अभी तक सामने आया है। जिन मामलों में कोई रिपोर्ट ही दर्ज नहीं होती, वह संख्या इसमें शामिल नहीं है। सबसे हैरानी और चिंता वाली बात यह है कि इस साल की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च तक की अवधि में ही 4100 से अधिक लोग लापता हुए हैं।

इस लिहाज से अगर देखें तो महज नब्बे दिनों में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के लापता होने से पुलिस की भी सिरदर्दी बढ़ गई है। रोजाना के हिसाब से अगर देखें तो हर दिन प्रदेश से 45 से अधिक लोगों के गुमशुदा होने की रिपोर्ट प्रदेश के अलग-अलग पुलिस थानों में दर्ज हुई है। यही नहीं, इस अवधि में 1000 से अधिक लोगों के अपहरण के मामले भी सामने आए हैं। हरियाणा राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है।

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आयोग ने लोगों के लापता होने के साथ-साथ अपहरण, हत्या और गैर-इरादतन हत्या के बढ़ते मामलों पर भी कड़ा नोटिस लिया है। आयोग ने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक से आठ सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने अपने नोटिस में कड़ी टिप्पणी करते हुए लिखा है कि ये आंकड़े सार्वजनिक सुरक्षा तंत्र के विफल होने की गंभीर स्थिति को दर्शाते हैं। आयोग चेयरमैन ललित बतरा व दोनों सदस्यों – कुलदीप जैन व दीप भाटिया ने इसे मौलिक मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन माना है।

इन नियमों के तहत कार्रवाई

आयोग ने लापता होने के मामले को भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के प्रावधानों का उल्लंघन माना है। इसके तहत जीवन, व्यक्तिगत सुरक्षा, स्वतंत्रता और कानूनी संरक्षण के अधिकार हैं। हत्या, अपहरण और गुमशुदगी के मामलों में वृद्धि यह को अनुच्छेद-7 और अनुच्छेद-9 तथा अनुच्छेद-12 का उल्लंघन माना है। इन्हीं नियमों को ध्यान में रखते हुए आयोग ने यह नोटिस जारी किया है।

परिवार झेलता मानसिक तनाव

रिपोर्ट में विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और कमजोर वर्गों के शोषण की आशंका भी जताई है। जस्टिस (सेवानिवृत्त) ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले पूर्ण आयोग के आदेशानुसार, गुमशुदा व्यक्तियों का मुद्दा केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है। यह गहन मानवीय पीड़ा और संकट को दर्शाता है। गुमशुदा व्यक्तियों के परिवारों को गंभीर मानसिक आघात का सामना करना पड़ता है। विशेषकर तब जब उन्हें यह जानकारी तक नहीं होती कि उनके प्रियजन जीवित हैं या नहीं। इस असमंजस से उत्पन्न मानसिक तनाव, अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट जैसी समस्याएं लंबे समय तक बनी रहती हैं।

मानव तस्करी की भी आशंका

आयोग यह नजरअंदाज नहीं कर सकता कि गुमशुदा व्यक्ति शोषण और आपराधिक गतिविधियों के लिए अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। रिपोर्ट्स और पूर्ववर्ती घटनाएं दर्शाती हैं कि विशेष रूप से महिलाएं, बच्चे और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी, यौन शोषण और अवैध अंग व्यापार जैसी आपराधिक गतिविधियों के शिकार बनते हैं। कई मामलों में गुमशुदगी फिरौती के लिए हत्या या अन्य गंभीर अपराधों में परिवर्तित हो जाती है।

31 जुलाई को सुनवाई

आयोग के प्रोटोकोल, सूचना व जनसंपर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि आयोग के समक्ष प्रस्तुत तथ्यों के आधार पर यह स्थिति आयोग की त्वरित हस्तक्षेप और प्रशासनिक जांच की मांग करती है। साथ ही, यह कि जवाबदेही तय करने तथा मौलिक मानवाधिकारों की रक्षा हेतु आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाना भी आवश्यक है। आयोग ने अपने निदेशक (अनुसंधान) के माध्यम से पुलिस महानिदेशक (जांच) से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसमें 2021 से 2025 तक के मामलों की रिपोर्ट तलब की है। आयोग इस मामले में अब 31 जुलाई को सुनवाई करेगा।

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