मोदी के सपनों को साकार करता हरियाणा
हरियाणा में हमारी सरकार के नौ वर्ष पूरे हो रहे हैं। नौ वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब हरियाणा की जिम्मेदारी मुझे सौंपी थी, राज्य की स्थिति ऐसी थी कि उन परिस्थितियों और सिस्टम के बीच रहकर प्रदेश को नए सिरे से विकास के मार्ग पर लाना दुष्कर था। तबादलों से लेकर सीएलयू तक सब कुछ अनियमितताओं के घेरे में था। मुझे लगा कि ईमानदार दृष्टिकोण के साथ व्यवस्था परिवर्तन एक महत्वपूर्ण कार्य है। नौकरियां नहीं थीं, यदि थीं तो बिना ईमानदारी से उन्हें पाना मुश्किल था। भ्रष्टाचार का बोलबाला था। समाज जातियों में बंटा था। प्रदेश के संसाधनों का मनमाना एवं पक्षपातपूर्ण उपयोग, तर्कहीन आवंटन और दूषित पूंजीवाद जैसी नीतियों पर चलकर प्रदेश को प्रगति के पथ पर नहीं लाया जा सकता था। प्रदेश की जनता में सरकारी तंत्र और राजनीतिक दलों के प्रति आक्रोश था। अर्थव्यवस्था बेहाल थी, सामाजिक कुरीतियों का बोलबाला था। प्रदेश ही नहीं पूरे देश को भोजन कराने वाला किसान आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर था। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद मुझे अहसास हो गया था कि इन कुरीतियों को दूर किये बिना राज्य का भला नहीं होगा।
हालात से स्पष्ट था कि हमें नए सिरे से शुरुआत करनी होगी। मैं प्रारंभ से ही टेक्नोलॉजी से काफी नजदीकी से जुड़ा रहा। इसलिए लगा कि इससे होने वाले फायदे से एक नए हरियाणा का निर्माण संभव है। वर्ष 2014 में सरकार बनाने पर महसूस किया कि हरियाणा के इस बेदम सिस्टम को बदलने में वक्त लगेगा। जनता ने हमें चुना था तेज वृद्धि, संतुलित क्षेत्रीय विकास और सुशासन के लिए। इसलिए हम शुरू से ही जाति, नस्ल, क्षेत्र या पंथ और संप्रदाय के आधार पर भेदभाव के बिना समाज के सभी वर्गों को एक संगठित इकाई मानकर विकास एवं समृद्धि के समान अवसर उपलब्ध कराने की नीति पर चले। नौ वर्ष के अथक प्रयास के बाद आज यह संतोष है कि प्रदेश उस पथ पर आकर खड़ा हो गया है, जहां से अब पुराने सिस्टम तक लौटना असंभव है।
सामाजिक स्तर पर समाज को एक करने के लिए आवश्यक था कि ऐसे कदम उठाये जाएं जिनसे लोगों के भीतर आत्मसम्मान की भावना जाग्रत हो ताकि वे अपने स्तर पर प्रदेश के विकास में योगदान दे पाएं। जाति के सार्वजनिक होने का मतलब ही है कि आत्मविश्वास का टूटना। इसलिए हमारी सरकार ने हरियाणा एक, हरियाणवी एक की नीति पर चलने का निर्णय लिया। ऐसे विकल्प चुने गए, जिनसे नागरिकों को सरकार से मिलने वाले किसी भी लाभ के लिए अपनी हैसियत को सार्वजनिक न करना पड़े। इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभायी हमारी फ्लैगशिप स्कीम परिवार पहचान पत्र ने। इसके तहत प्रदेश के सभी निवासियों का पूर्ण विवरण एकत्रित किया जा रहा है। एक बार इस स्कीम में दर्ज हो जाने के बाद प्रदेशवासियों को किसी भी विभाग में कोई भी दस्तावेज जमा करने के झंझट से छुटकारा मिल गया है। अब तक प्रदेश के 70 लाख से अधिक परिवारों के 2.81 करोड़ से अधिक सदस्यों को पीपीपी में पंजीकृत किया जा चुका है। इसका अर्थ यह हुआ कि हरियाणा के 96 प्रतिशत से अधिक परिवारों के पास पीपीपी आईडी हो गई है।
हमारी सरकार से पूर्व प्रदेश में रहने वाले समाज के सबसे निचले तबके के निवासी, दलित-पिछड़े और वंचित वर्ग के लोग सर्वाधिक मुश्किल जीवन यापन कर रहे थे। इस वर्ग को समाज की मुख्यधारा में लाये बिना प्रदेश के विकास का कोई औचित्य नहीं था। अंत्योदय की भावना मेरे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। राजनीतिक जीवन से पूर्व समाज सेवा के दौर से ही मैं अंत्योदय की भावना से काम करता रहा हूं। इसलिए मैंने तय कर लिया था कि प्रदेश में गरीब, पिछड़ों, दलितों और शोषितों को सम्मानित जीवन देना हमारी सरकार का मुख्य ध्येय होगा। हमने बीपीएल परिवारों की न्यूनतम वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये तक प्रतिवर्ष तय की, ताकि इसका लाभ अधिक से अधिक गरीबों तक पहुंचेे। ऐसा करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य बना। मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना के तहत हमारा लक्ष्य प्रदेश के 1 लाख अति गरीब परिवारों की आय को बढ़ाने का है। इस दिशा में पहले 4 चरणों में आयोजित अंत्योदय मेलों में लगभग 50 हजार परिवारों को बैंकों के माध्यम से ऋण दिए गए।
प्रदेश की महिलाओं की स्थिति भी नौ वर्ष पूर्व बेहद विकट थी। कन्या भ्रूण हत्या, लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखना, परिवार में उनकी दूसरे दर्जे की स्थिति और रोजगार में उनकी नगण्य भागीदारी जैसी कुरीतियां व्याप्त थीं। हमने कुरीतियों को दूर करने की चुनौती को स्वीकारा। प्रधानमंत्री के आह्वान पर प्रदेश में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान चलाया। सार्थक परिणाम सामने आये। आज प्रदेश में लड़कियां उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। लिंगानुपात भी वर्ष 2014 के 871 से छलांग लगाकर सितंबर, 2023 में 932 हो गया है। समाज में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर रोकथाम के सख्त उपाय किये गये हैं। ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए 16 फास्टट्रैक अदालतें गठित हुईं और 12 वर्ष तक की बच्चियों के साथ रेप के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान किया।
किसी भी देश-प्रदेश के विकास में युवा आबादी का महत्वपूर्ण योगदान होता है। हमारी सरकार आने से पहले प्रदेश में नौकरियों को लेकर एक खास व्यवस्था थी। माना जाता था कि ‘बिन पर्ची, बिन खर्ची’ कोई काम संभव नहीं है। हमने इन स्थितियों में सुधार हेतु भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। आज नौकरियों के लिए आवेदन से लेकर चयन तक की प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाकर उसे पूरी तरह पारदर्शी बना दिया है। ग्रुप डी सहित सभी समूहों के लिए लिखित परीक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लिया। ग्रुप सी और डी पदों के लिए साक्षात्कार रोक दिए गए ,जहां पहले परिणामों में हेरफेर किया जाता था। कॉमन पात्रता परीक्षा की शुरुआत की ताकि युवाओं को नौकरी के लिए न तो बार-बार आवेदन करना पड़े और न ही उसके लिए हर बार फीस देने की नौबत आए।
उल्लेखनीय है कि ग्रुप सी के लिए अब तक 11 लाख युवा परीक्षा में बैठ चुके हैं। ग्रुप डी की परीक्षा 22 अक्तूबर को संपन्न हुई, जिसमें 8.51 लाख उम्मीदवार शामिल हुए। चूंकि सबको नौकरी उपलब्ध कराना अकेले सरकार के लिए संभव नहीं है, इसलिए इस अभियान में निजी क्षेत्र को भी शामिल किया। बेरोजगारों के लिए भत्ते की व्यवस्था की। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप हम हरियाणा के नौजवानों को बेरोजगारी की चोट से बचा पाए हैं। इन कदमों से हरियाणा की बेरोजगारी दर नवीनतम पीएलएफएस जुलाई-सितंबर 2023 के अनुसार 6.5 प्रतिशत तक सीमित हो गई है, जो राजस्थान और पंजाब जैसे हमारे पड़ोसी राज्यों से कम है।
वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने हेतु हमारी सरकार ने कड़ी मेहनत की। प्रदेश में असामान्य कानून व्यवस्था के चलते वर्ष 2014 से पूर्व प्रदेश में नया निवेश नहीं आ रहा था। कभी औद्योगिक राज्य कहे जाने वाले हरियाणा में नए उद्योगों का लगना बंद हो गया था। ज्यादातर निवेश गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जाने लगा। जरूरी था कि नया निवेश लाने के अनुकूल माहौल बनाया जाए। कानून व्यवस्था को बेहतर बनाना जरूरी था। साथ ही टेक्नोलॉजी की मदद से सिस्टम को पारदर्शी बनाया गया ताकि निवेशकों को लालफीताशाही से बचाया जा सके।
वहीं दूसरी ओर राज्य में भ्रष्टाचार के छिद्रों को बंद करने से राजस्व की हानि को रोका जा सका है। फलत: प्रदेश में राजस्व में उछाल दिखने लगा है, भले ही यह अर्थव्यवस्था के डिजीटलीकरण का भी असर है। प्रदेश की आर्थिक विकास दर भी सात प्रतिशत के पार चली गई है। प्रति व्यक्ति आय भी वर्ष 2014 के 1.35 लाख रुपये सौ प्रतिशत से अधिक बढ़कर जून, 2023 में 2.96 लाख रुपये से अधिक हो चुकी है। गवर्नेंस सुधारों से आगे की राह आसान दिखने लगी है।
किसानों के हित मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। खेती किसानी वाला अग्रणी राज्य होने के नाते मुझे किसानों की हरदम चिंता रहती थी। हमारी सरकार बनने से पूर्व किसानों का हाल बेहाल था। अच्छी उपज के बावजूद उनकी आर्थिक स्थिति बदहाल थी। उन्हें उपज का सही दाम नहीं मिलता था। जो दाम मिलता था उसका भी पूरा पैसा हाथ नहीं आता था। दरअसल,सिस्टम की विसंगतियों की वजह से खेती-किसानी के असल मालिकों तक उसका लाभ नहीं पहुंच पाता था। नतीजा हर साल प्रदेश में किसानों की आत्महत्या जैसी शर्मनाक घटनाओं का सामना करना पड़ता था। इसमें मेरा टेक्नोलॉजी का अनुभव ही काम आया। ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ योजना ने इस स्थिति से उबरने में काफी मदद की है। अब उपज बेचने में किसान को सहूलियत हो गई है। वहीं उसका पैसा सीधे उसके बैंक खाते में ट्रांसफर होने लगा है। आई-फॉर्म के 72 घंटे के भीतर भुगतान सुनिश्चित किया गया, ऐसा न करने पर सरकार किसान को ब्याज देती है। अब तक 85 हजार करोड़ रुपये की राशि सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर की जा चुकी है।
आखिर में मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि हम अपने प्रदेश हरियाणा को एक आदर्श विकसित राज्य की तरफ ले जाना चाहते हैं। इसके लिये हमने जिन योजनाओं की शुरुआत की है उन्हें अन्य राज्य भी खुले दिल से अपनाने लगे हैं। अभी एक नवम्बर को हरियाणा की आयु 57 वर्ष की हो जाएगी। इस अवधि में हरियाणा ने बहुत कुछ झेला है। लेकिन मुझे संतोष है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन से हमने बीते नौ साल में हरियाणा को इस स्थिति पर ला दिया है जहां से उसके पीछे जाने का सवाल नहीं उठता। प्रधानमंत्री के नए भारत के निर्माण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए हम नये हरियाणा को विकसित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। आजादी के अमृत काल के समापन पर वर्ष 2047 में हम हरियाणा को देश के एक अग्रणी विकसित राज्य के रूप में देखना चाहते हैं।
लेखक हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं।