Haryana Elections: सीएम की जीत तय, नायब सिंह सैनी के सात मंत्री संकट में!
दिनेश भारद्वाज/ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 6 सितंबर
Haryana Election Result Prediction: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मतदान के बाद आए रुझानों में ‘सेफ जोन’ में नजर आ रहे हैं। लाडवा में कांग्रेस के मौजूदा विधायक मेवा सिंह के साथ उनकी सीधी टक्कर थी। इस हलके के समीकरणों के हिसाब से नायब सिंह सैनी के चुनाव जीतने की प्रबल संभावना है। वहीं नायब कैबिनेट के सात मंत्रियों पर इस बार तलवार लटकी है।
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री मूलचंद शर्मा बल्लबगढ़ सीट से जीत की हैट्रिक लगा सकते हैं। वहीं विकास एवं पंचायत मंत्री महिपाल सिंह ढांडा के पानीपत ग्रामीण सीट पर बने समीकरण रास आ सकते हैं। इससे पहले 2019 के विधानसभसा चुनावों में उस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार के कई मंत्री चुनाव हार गए थे। उस समय स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर और राज्य मंत्री डॉ. बनवारी लाल अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे। पिछले चुनावों में दो कैबिनेट मंत्रियों – विपुल गोयल और राव नरबीर सिंह का टिकट कटा था।
इस बार नायब कैबिनेट के तीन मंत्रियों – डॉ. बनवारी लाल, सीमा त्रिखा और बिशम्बर वाल्मीकि का टिकट काटा गया। नायब सिंह सैनी ने पहली बार 2014 में नारायणगढ़ से चुनाव जीता था और वे मनोहर सरकार में राज्य मंत्री रहे। 2019 में वे कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद बने। 12 मार्च को मनोहर लाल को बदल कर नायब सिंह सैनी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया। मई में लोकसभा के साथ करनाल सीट पर हुए उपचुनाव में नायब सिंह सैनी ने जीत हासिल की।
इस बार नायब सिंह सैनी लाडवा हलके से चुनाव लड़ा। सैनी बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र में कश्यप सहित पिछड़ा वर्ग का काफी वोट बैंक है। वोट गणित के चलते ही सैनी इस सीट पर सेफ नजर आ रहे हैं। प्रदेश के कृषि मंत्री कंवर पाल गुर्जर जगाधरी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं। कांग्रेस के अकरम खान और आम आदमी पार्टी के आदर्श पाल सिंह ने इस सीट के समीकरण बिगाड़े हुए हैं। वहीं प्रदेश के वित्त मंत्री जयप्रकाश दलाल लोहारू सीट पर आमने-सामने के मुकाबले में फसे हैं।
कांग्रेस के राजबीर सिंह फरटिया ने उन्हें कड़ी चुनौती दी। इस सीट पर हार-जीत को लेकर बड़ी दुविधा बनी हुई है। नायब सरकार में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता जीत की हैट्रिक लगाने से पीछे रह सकते हैं। उनका लगातार तीसरी बार विधानसभा पहुंचने का सपना इस बार टूट सकता है। निर्दलीय प्रत्याशी व पूर्व निकाय मंत्री सावित्री जिंदल ने इस सीट के समीकरण बिगाड़ दिए। कांग्रेस से रामनिवास राड़ा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं नगर निगम के मेयर रहे गौतम सरदाना भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। साावित्री जिंदल की जीत की प्रबल संभावना बनी हुई है।
महंगा पड़ सकता है हलका बदलना
खेल एवं राज्य मंत्री व सोहना से 2019 में विधायक बने संजय सिंह की पहले तो भाजपा ने टिकट काट दी थी। माना जा रहा है कि लॉबिंग के चलते वे टिकट लेने में हासिल रहे, लेकिन भाजपा ने उन्हें सोहना की बजाय नूंह से टिकट दिया। हलका बदलना संजय सिंह को महंगा पड़ता दिख रहा है। कांग्रेस के आफताब अहमद यहां काफी मजबूत दिख रहे हैं। हालांकि पूर्व विधायक व वरिष्ठ भाजपा नेता जाकिर हुसैन का टिकट कटने के बाद उनके बेटे ताहिर हुसैन इनेलो टिकट पर नूंह से चुनाव लड़ रहे हैं।
धर्मनगरी में नया अर्जुन
श्रीकृष्ण की उपदेशस्थली को इस बार नया ‘अर्जुन’ मिल सकता है। यहां से दो बार के भाजपा विधायक व नायब सरकार में निकाय मंत्री सुभाष सुधा की मुश्किलें पूर्व स्पीकर व कांग्रेस उम्मीदवार अशोक अरोड़ा ने बढ़ाई हुई हैं। 2019 के चुनावों में भी अरोड़ा करीब 700 मतों के अंतर से चुनाव हारे थे। मुख्यमंत्री के सबसे करीबियों में शामिल सुभाष सुधा की जीत की हैट्रिक लग पाना इस बार आसान नहीं लगता।
पानीपत ग्रामीण में नये समीकरण
पानीपत ग्रामीण से लगातार दो बार विधायक बने तथा विकास एवं पंचायत मंत्री महिपाल सिंह ढांडा का चुनाव भी आसान नहीं रहा। कांग्रेस के बागी विजय जैन उनके सामने बड़ी चुनौती बन गए। वहीं कांग्रेस ने युवा चेहरे के रूप में सचिन कुंडू को टिकट दिया था। अब इस सीट के चुनावी नतीजे सचिन कुंडू को मिलने वाले वाेट पर निर्भर करेंगे। बेशक, महिपाल सिंह ढांडा को थोड़ा-बहुत सेफ माना जा सकता है लेकिन इस सीट के एकदम क्लीयर भी नहीं कह सकते।
ये राज्य मंत्री भी उलझे
नायब सरकार में परिवहन मंत्री असीम गोयल अंबाला सिटी और सिंचाई मंत्री अभय सिंह यादव नांगल-चौधरी में बुरी तरह फसे हुए हैं। असीम गोयल को कांग्रेस उम्मीदवार व पूर्व मंत्री निर्मल सिंह कड़ी चुनौती दे रहे हैं। वहीं अभय सिंह यादव की मुश्किलें मंजू चौधरी ने बढ़ाई हुई हैं। गुर्जर जाति की मंजू चौधरी के साथ जाट और एससी वोट बैंक जुड़ने की वजह से अभय सिंह यादव की सीट संकट में आई। अंबाला सिटी हलके के साथ लगते वाले गांवों में जाट, जट सिख और एससी वोटरों ने असीम गोयल का चुनाव टाइट कर दिया।
इसलिए सेफ लगते मूलचंद
बल्लबगढ़ हलके से उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री मूलचंद शर्मा इसलिए सेफ लग रहे हैं क्योंकि कांग्रेस यहां का टिकट आवंटन सही नहीं किया। पूर्व मुख्य संसदीय सचिव शारदा राठौर की टिकट काटकर कांग्रेस ने नये चेहरे के रूप में पराग शर्मा पर दाव लगाया। कांग्रेस से बागी होकर शारदा राठौर ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मूलचंद शर्मा के सामने ताल ठोक दी। पिछले 10 वर्षों से विधायक मूलचंद शर्मा ने विकास कार्यों की बदौलत यह चुनाव जीता। मूलचंद को सेफ जोन में माना जा रहा है। हालांकि 8 अक्तूबर को घोषित होने वाले नतीजों के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
इस बार रणजीत की राह मुश्किल
2019 में कांग्रेस टिकट कटने के बाद रानियां से निर्दलीय विधायक बने चौ. रणजीत सिंह की राहें इस बार चुनौतियों भरी हैं। रणजीत सिंह मनोहर और नायब सरकार में बिजली व जेल मंत्री रहे। लोकसभा चुनाव भी उन्होंने हिसार से भाजपा टिकट पर लड़ा। भाजपा ने उन्हें रानियां से टिकट नहीं दिया तो वे फिर से निर्दलीय चुनाव मैदान में आ डटे। पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के पोते अर्जुन चौटाला रानियां से इनेलो और पत्रकार रहे सर्वमित्र काम्बोज कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला रहा।
स्पीकर भी बुरी तरह फंसे
राजधानी – चंडीगढ़ से सटे पंचकूला हलके में स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता जीत की हैट्रिक के लिए मैदान में डटे हैं। कांग्रेस टिकट पर पूर्व डिप्टी स्पीकर चंद्रमोहन बिश्नोई उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। 2019 में भी चंद्रमोहन और ज्ञानचंद गुप्ता में कड़ा मुकाबला हुआ था। उस समय चंद्रमोहन बिश्नोई ने बड़े हल्के में चुनाव लड़ा था और इसी वजह से उन्हें हार का भी सामना करना पड़ा। इस बार उनकी बेहतर मैनेजमेंट रही। वहीं डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा बरवाला हलके में त्रिकोणीय मुकाबले में फसे हैं। कांग्रेस के रामनिवास घोड़ेला और इनेलो की संजना सातरोड़ ने यहां चुनाव रोचक बनाया हुआ है।
इन मंत्रियों का काटा गया था टिकट
भाजपा ने इस बार तीन मंत्रियों की टिकट काटा था। दो बार के विधायक और कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारी लाल की टिकट काटकर उनकी जगह स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा के निदेशक रहे डॉ. कृष्ण कुमार को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व कांग्रेस उम्मीदवार डा. एमएल रंगा से उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है।
बड़खल से दो बार की विधायक शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा की टिकट काटना भी पार्टी को महंगा पड़ सकता है। भाजपा ने धनेश अदलखा को बड़खल से टिकट दिया। पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह के बेटे विजय प्रताप सिंह कांग्रेस टिकट पर लड़ रहे हैं और उन्हें काफी मजबूत माना जा रहा है। राज्य मंत्री बिशम्बर वाल्मीकि की बवानीखेड़ा से टिकट काटकर उनकी जगह जजपा से आए कपूर वाल्मीकि को उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस के प्रदीप नरवाल ने मुकाबले को रोचक बनाया। यहां कांटे की टक्कर बनी।