हरियाणा के सीएम सर्वशक्तिमान पसंदीदा व्यक्ति को भाजपा की कमान
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 27 अक्तूबर
हरियाणा में भाजपा ने बैकवर्ड (पिछड़ा वर्ग) और गैर-जाट कार्ड एक साथ खेल दिया है। भाजपा ने ओमप्रकाश धनखड़ की जगह सांसद नायब सिंह सैनी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया है। धनखड़ को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है। इस बदलाव के साथ ही भाजपा ने गैर-जाटों को भी संदेश देने की कोशिश की है। हालांकि क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन भी कुछ बिगड़ा है। हरियाणा में अब दोनों ही मुख्य पदों– मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष पर जीटी रोड बेल्ट का प्रतिनिधित्व है। मनोहर लाल खट्टर करनाल से विधायक हैं और सैनी कुरुक्षेत्र से सांसद। वर्ष 2014 में पहली बार पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई भाजपा ने अभी तक जाट और गैर-जाट में संतुलन बनाए रखने की कोशिश की थी। 2014 के विधानसभा चुनावों तक प्रो़ रामबिलास शर्मा प्रदेशाध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में भाजपा ने 47 सीटों पर जीत हासिल की थी। शर्मा के मंत्री बनने के बाद तत्कालीन टोहाना से विधायक सुभाष बराला को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था। वर्ष 2019 में बराला के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव में तो भाजपा सभी दस सीटों पर जीती, लेकिन विधानसभा में बराला खुद ही चुनाव हार गए। साथ ही, पार्टी भी बहुमत से दूर रही। जुलाई-2020 में ओमप्रकाश धनखड़ को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। उन्हें सर्वाधिक एक्टिव माना जाता रहा है। सूत्रों का कहना है कि नया बदलाव आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनावों के समीकरणों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। पूर्व सीएम और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी बेहद सक्रिय हैं। पहली नवंबर को रादौर हलके से वह ‘जनआक्रोश’ रैलियों का आगाज भी करेंगे। हुड्डा को जाटों में सर्वाधिक प्रभावी माना जाता है। वर्तमान में जाटों का एक बड़ा वर्ग भाजपा से नाराज़ भी माना जा रहा है। हालांकि धनखड़ को राष्ट्रीय सचिव पद पर नियुक्त करके पार्टी ने इस वर्ग को भी थोड़ा-बहुत साधने की कोशिश की है। भाजपा में हुए ताजा सियासी घटनाक्रम ने सीएम मनोहर लाल के राजनीतिक कद को और बढ़ा दिया है। वे यह मैसेज देने में कामयाब रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व में उनकी मजबूत पकड़ है।
नायब सिंह सैनी 2014 में पहली बार नारायणगढ़ हलके से विधायक बने थे। उस समय खट्टर कैबिनेट में उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया था। मनोहर लाल के मुख्यमंत्री बनने से कई बरसों पहले से ही सैनी की खट्टर से नजदीकियां रही हैं। उन्हें मुख्यमंत्री के ‘विश्वासपात्र’ लोगों में गिना जाता है। सुभाष बराला को जब बदला जाना था तो उस समय भी नायब सिंह सैनी को प्रदेशाध्यक्ष बनवाए जाने की कोशिशें हुई थीं। खैर वर्तमान बदलाव को गत सप्ताह सीएम मनोहर लाल खट्टर की पीएम नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
फ्री-हैंड यानी मनोहर की मनमर्जी
इस बदलाव से स्पष्ट हो गया है कि फिलहाल मनोहर लाल खट्टर को केंद्रीय नेतृत्व से ‘फ्री-हैंड’ मिला हुआ है। आगामी चुनाव मनोहर लाल के नेतृत्व में ही लड़े जाने के संकेत पार्टी हाईकमान कई बार दे चुकी है। पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मनोहर लाल की घनिष्ठ मित्रता भी किसी से छिपी नहीं है। इस बार फिर खट्टर ने नेतृत्व पर अपनी मजबूत पकड़ का अहसास करवा दिया है।
बदलाव का यह भी मुख्य कारण
ओबीसी की तीनों प्रमुख जातियों को भाजपा ने प्रतिनिधित्व देने का काम किया है। यादव कोटे से राव इंद्रजीत सिंह और गुर्जर प्रतिनिधित्व के रूप में कृष्णपाल गुर्जर केंद्र में मंत्री हैं। अब सैनी बिरादरी से नायब सिंह सैनी को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर पार्टी ने बड़ा ओबीसी कार्ड खेल दिया है। बीसीए और बीसीबी मिलाकर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग का वोट बैंक 30 प्रतिशत से अधिक माना जाता है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से पिछड़ा वर्ग भाजपा के साथ जुड़ा हुआ है। खट्टर कैबिनेट में स्कूल शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर और पूर्व सांसद डॉ. सुधा यादव केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य के तौर पर पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।