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अपने ही लोगों तक रोजगार सीमित नहीं कर सकता हरियाणा

06:51 AM Jun 04, 2024 IST

चंडीगढ़, 3 जून (ट्रिन्यू)
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई सरकार अंकों में वेटेज का लाभ देकर अपने ही निवासियों तक रोजगार को सीमित नहीं कर सकती। साथ ही हाईकोर्ट ने 5 मई, 2022 की संशोधन अधिसूचना के माध्यम से हरियाणा सरकार द्वारा पेश सामाजिक-आर्थिक मानदंडों को रद्द कर दिया। उक्त निर्णय हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने 31 मई को सुनाया था, लेकिन विस्तृत निर्णय अभी तक अनुपलब्ध था।
जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक मानदंड भी केवल हरियाणा के निवासियों के लिए उपलब्ध 'परिवार पहचान पत्र' में प्रविष्टियों के तहत था। खंडपीठ ने जोर देकर कहा कि निर्धारित विभिन्न शर्तों को देखने पर हम पाते हैं कि इसका उस उद्देश्य से कोई संबंध नहीं है जिसे हासिल किया जाना है। कोई भी सरकार अंकों में पांच प्रतिशत वेटेज का लाभ देकर केवल अपने निवासियों तक ही रोजगार को सीमित नहीं कर सकती है। प्रतिवादियों ने पद के लिए आवेदन करने वाले समान स्थिति वाले उम्मीदवारों के लिए एक कृत्रिम वर्गीकरण बनाया है।
यह फैसला सामान्य पात्रता परीक्षा में प्राप्त अंकों के कुल प्रतिशत में उम्मीदवारों के सामाजिक-आर्थिक मानदंडों के आधार पर पांच प्रतिशत बोनस अंक जोड़ने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आया।
बेंच ने पाया कि प्रतिवादियों द्वारा पेश किया गया सामाजिक-आर्थिक मानदंड स्पष्ट रूप से 'समान स्थिति वाले व्यक्तियों के लिए बनाया गया मनमाना और भेदभावपूर्ण है और किसी भी व्यक्ति को लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।' 5 मई, 2022 की अधिसूचना, जिसके तहत सामाजिक-आर्थिक मानदंडों के आधार पर अंक दिए गए थे, स्पष्ट रूप से अनुचित थी।
बेंच ने कहा, 'हमने पाया है कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून को अच्छी तरह से तय कर दिया है कि निवास के आधार पर वेटेज देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस मामले में संविधान में निहित समानता के अधिकार का उल्लंघन किया गया और पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर एक वर्ग बनाया गया, जिसमें कोई अमूर्त अंतर नहीं है। जिन उम्मीदवारों के माता-पिता सरकारी नौकरी में हैं, उन्हें 5 प्रतिशत वेटेज से वंचित कर दिया जाएगा, जबकि दुकानदार या निजी नौकरी धारक का बच्चा 5 प्रतिशत वेटेज का हकदार होगा।

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