खटाई में पड़ा हरियाणा कैबिनेट विस्तार
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 16 मार्च
हरियाणा मंत्रिमंडल का विस्तार लटक गया है। शनिवार को मंत्रिमंडल का विस्तार लगभग तय माना जा रहा था। राजभवन में तैयारियां हो गई थीं और मुख्यमंत्री आवास पर भी दिनभर भागदौड़ देखने को मिली। कई विधायकों को चंडीगढ़ आमंत्रित किया गया था, लेकिन ‘भावी मंत्रियों’ को राजधानी से बैरंग लौटना पड़ा। लोकसभा चुनाव का ऐलान होते ही आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। ऐसे में अब नायब सरकार को मंत्रिमंडल विस्तार अगर करना है तो इसके लिए पहले चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होगी।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा दिग्गजों के अलावा निर्दलीय विधायकों के विरोध के चलते विस्तार में अड़चन आई। वर्तमान में कैबिनेट में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के अलावा 5 कैबिनेट मंत्री- कंवर पाल गुर्जर, मूलचंद शर्मा, चौ़ रणजीत सिंह, जयप्रकाश दलाल और डॉ़ बनवारी लाल शामिल हैं। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय भी दिल्ली पहुंच चुके हैं। रविवार को सुबह वे हैदराबाद रवाना हो जाएंगे। दो-तीन दिन बाद उनका लौटने का कार्यक्रम है।
बताते हैं कि कुछ नामों पर विरोध की स्थिति बनी हुई थी। वहीं, निर्दलीय विधायक भी कैबिनेट में शामिल होने काे लेकर दबाव बना रहे हैं। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पसंद-नापसंद भी विस्तार में बड़ी अड़चन बनने की खबर है। पूर्व गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की कथित नाराजग़ी भी कैबिनेट विस्तार नहीं होने में बड़ा कारण मानी जा रही है।
मौजूदा कैबिनेट में क्षेत्रीय व जातिगत संतुलन बिगड़ा हुआ है। सीएम नायब सिंह सैनी के अलावा कैबिनेट मंत्री कंवर पाल गुर्जर पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। जाट कोटे से रणजीत सिंह और जेपी दलाल को कैबिनेट में शामिल किया हुआ है। ब्राह्मण कोटे से मूलचंद शर्मा और अनुसूचित जाति से डॉ़ बनवारी लाल मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं। मंत्रिमंडल में पंजाबी, वैश्य, यादव, राजपूत व सिख समाज से किसी को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। कैबिनेट में कोई महिला भी शामिल नहीं है।
अगर जिलों के हिसाब से देखें तो अंबाला, यमुनानगर, सिरसा, फरीदाबाद, रेवाड़ी व भिवानी को छोड़कर किसी भी जिले को सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। बहरहाल, मंत्री पद की शपथ लेने चंडीगढ़ पहुंचे विधायकों और उनके समर्थकों में मायूसी है। यहीं कारण हैं कि अभी भी विस्तार की संभावनाएं प्रबल हैं।
सरकार ले चुकी रिपोर्ट सूत्रो का कहना है कि शनिवार को कैबिनेट में रुकावट नजर आई तो सरकार द्वारा आचार संहिता को लेकर भी पूरी रिपोर्ट ली गई। हालांकि, राजभवन सूत्रों ने कहा कि अब चुनाव आयोग की लिखित अनुमति के बाद ही शपथ ग्रहण करवाई जाएगी। बताते हैं कि जातिगत संतुलन को सही करने के लिए सरकार कैबिनेट में विस्तार कर सकती है। प्रदेश में चूंकि नयी सरकार का गठन हुआ है और कैबिनेट का पूरी तरह से नहीं बनी है। ऐसे में संभव है कि अगले कुछ दिनों में कैबिनेट विस्तार कर दिया जाए। कुछ अधिकारियों का कहना है कि आचार संहिता लागू होने के बाद विस्तार संभव नहीं है।
आचार संहिता लागू हो गई है। ऐसे में अब मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया जा सकेगा। कैबिनेट में जिन विधायकों को शामिल किया जाएगा, उससे क्षेत्र व समुदाय को प्रलोभन के रूप में देखा जाएगा। 2004 से लेकर अभी तक हुए चुनावों में आचार संहिता के दौरान कैबिनेट विस्तार का कोई उदाहरण नहीं है। आयोग इसकी अनुमति भी नहीं देगा।
-हेमंत कुमार, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता