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स्टार्टअप में हरियाणा बना देश का 7वां बड़ा राज्य

08:21 AM Jun 18, 2025 IST
स्टार्टअप में हरियाणा बना देश का 7वां बड़ा राज्य
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 17 जून
नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में हरियाणा की धमक बढ़ रही है। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के साथ पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या के मामले में हरियाणा देश का सातवां सबसे बड़ा राज्य बनकर उभरा है। डीपीआईआईटी-मान्यता प्राप्त 8,800 से अधिक स्टार्टअप की मौजूदगी राज्य में जीवंत और बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम की गवाह है, जो आर्थिक विविधीकरण और रोजगार सृजन में योगदान दे रहा है।
इतना ही नहीं, प्रदेश में 45 प्रतिशत से अधिक स्टार्टअप महिलाओं द्वारा संचालित हैं। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई राज्य स्टार्टअप इकोसिस्टम और इनक्यूबेटर योजनाओं की समीक्षा बैठक के दौरान यह बात सामने आई। महिलाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप के उच्च प्रतिशत से प्रदेश के नवाचार परिदृश्य में समावेशी विकास और लैंगिक समानता पर बढ़ते फोकस का पता चलता है।
देश के यूनिकॉर्न में भी हरियाणा की भूमिका उल्लेखनीय है। देश में 117 यूनिकॉर्न में से 19 की उत्पत्ति हरियाणा में हुई है। यह राज्य के मजबूत कारोबारी माहौल, कुशल जनशक्ति तक आसान पहुंच और निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी को रेखांकित करता है।
इन कारकों के बल पर हरियाणा नवाचार-आधारित विकास के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में स्थापित हो रहा है। प्रदेश में विभिन्न चरणों में स्टार्टअप की सहायता के लिए एक मजबूत इनक्यूबेशन इंफ्रास्ट्रक्चर भी
मौजूद है।

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स्टार्टअप नीति के तहत आएंगी नई योजनाएं

उद्योग और वाणिज्य विभाग के आयुक्त एवं सचिव डॉ़ अमित कुमार अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार अब हरियाणा स्टार्टअप नीति-2022 के तहत नई योजनाएं लाने की तैयारी में है। इन योजनाओं का उद्देश्य सरकारी स्वामित्व वाले, सरकार समर्थित और निजी इनक्यूबेटरों को व्यापक वित्तीय और अवसंरचनात्मक सहायता प्रदान करना है। इन योजनाओं में पूंजीगत व्यय का 50 प्रतिशत, सरकार पोषित संस्थानों के लिए 2 करोड़ रुपये तक और निजी संस्थानों के लिए 1 करोड़ रुपये तक की पूंजी सब्सिडी शामिल है। नए स्टार्टअप वेयरहाउस या इनोवेशन कैंपस के विकास के लिए 4 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध होगी। साथ ही, आवर्ती परिचालन व्यय के लिए तीन वर्षों के लिए प्रति वर्ष 1 करोड़ रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे। मोबाइल एप्लीकेशन विकास केंद्रों के निर्माण के लिए भी इसी तरह की सहायता संरचना की योजना बनाई है।

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