Haryana Assembly Session: 2009 में हुई इंस्पेक्टर भर्ती में अनियमिताताओं को लेकर विधानसभा में हंगामा
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 18 मार्च
Haryana Assembly Session: हरियाणा में पूर्व की हुड्डा सरकार के समय 2008-2009 में हुई पुलिस इंस्पेक्टर की भर्ती को लेकर मंगलवार को विधानसभा में हंगामा हुआ। भाजपा ने नौकरियों में भाई-भतीजावाद करने और पर्ची-खर्ची का आरोप लगाते हुए प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को घेरा। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच काफी देर तक टकराव हुआ। स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी। इस दौरान पूर्व स्पीकर डॉ. रघुबीर सिंह कादियान की स्पीकर हरविन्द्र कल्याण के साथ तीखी बहस भी हुई।
माहाैल बिजली मंत्री अनिल विज की हुड्डा के प्रति की गई टिप्पणी से और भी गरमा गया। नारेबाजी करते हुए कांग्रेस के कई विधायक स्पीकर वेल तक भी पहुंचे। इस मुद्दे पर कांग्रेसियों ने वॉकआउट भी किया। जिस समय यह पूरा विवाद हुआ उस समय पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सदन में मौजूद नहीं थे।
सीएम नायब सिंह सैनी ने भी कांग्रेस सरकार में नौकरियों की बंटरबांट होने के आरोप लगाए। गुस्से में नजर आए स्पीकर सदन में हुई तीखी बहस और नारेबाजी को लेकर दोनों पक्षों को फटकार लगाते भी दिखे।
पूर्व मंत्री व नारनौल से भाजपा विधायक ओमप्रकाश यादव ने शून्यकाल में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा इस भर्ती को दिए गए फैसले और टिप्पणी को सदन में उठाया। यादव ने कहा कि पूर्व की कांग्रेस सरकार में हुई 20 पुलिस इंस्पेक्टरों की सीधी भर्ती में मुख्यमंत्री सहित दूसरे नेताओं के रिश्तेदारों का चयन किया गया। उन्होंने कहा कि इस परीक्षा के टाॅपर युवा का नाम लिस्ट से फल्यूड से काट दिया गया। उसका नाम लिस्ट में सबसे नीचे रखा गया।
कांग्रेस ने इसका विरोध किया तो संसदीय कार्य मंत्री महिपाल सिंह ढांडा ने कहा – हर मुद्दे पर अखबार लेकर सदन में आने वाले कांग्रेसी आज का अखबार क्यों नहीं लेकर आए। वे अब क्यों नहीं अखबार सदन में लहरा रहे और यह बता रहे कि कांग्रेस राज में किस तरह से भर्तियों में धांधली होती थी। विवाद अधिक बढ़ा तो मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा – हाईकोर्ट के फैसले से एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस राज में नौकरियों में बंदरबांट होती थी।
उन्होंने कहा कि जो बच्चा टॉपर था, उसका चयन नहीं किया गया। उसकी जगह पानीपत के एक रिश्तेदार के बेटे को नौकरी दे दी गई। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने इस भर्ती मामले को लेकर सरकार से हाईकोर्ट में जाने का आग्रह किया ताकि बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखा जा सके।
उन्होंने कहा कि नौकरियों में भेदभाव करना कांग्रेस का पुराना कल्चर रहा है। वहीं सीएम ने फिर दोहराया कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस नेता पचास वोट पर एक नौकरी देने की बात कह रहे थे।
यूं बढ़ता गया विवाद
बिजली व परिवहन मंत्री अनिल विज ने हाई कोर्ट के इस फैसले को लेकर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रति टिप्पणी की। इस पर रघुबीर सिंह कादियान, कुलदीप वत्स व अशोक अरोड़ा सहित कांग्रेस के कई विधायक भड़क गए। हंगामा बढ़ा तो कांग्रेसी अपनी सीटों से खड़े हो गए। स्पीकर हरविन्द्र कल्याण ने विज की टिप्पणी को सदन से हटवा भी दिया।
इसके बाद विज फिर से उठे और उन्होंने अपने पुराने शब्दों को तो नहीं दोहराया, लेकिन उनमें फेरबदल करके वैसी ही बात फिर से कह दी, जिससे कांग्रेसी फिर से भड़क उठे। दोनों ओर से एक-दूसरे पर टिप्पणी की गई। हालांकि स्पीकर ने विज के इस्तेमाल किए गए इन शब्दों को भी सदन की कार्रवाई से निकलवा दिया गया।
पूर्व और मौजूदा स्पीकर भिड़े
इंस्पेक्टर भर्ती के मुद्दे पर जब भाजपाई, कांग्रेस को घेर रहे थे तो पूर्व स्पीकर व बेरी विधायक डॉ. रघुबीर सिंह कादियान ने स्पीकर हरविन्द्र कल्याण पर विपक्ष की आवाज को दबाने के आरोप लगाए दिए। इस पर भड़के कल्याण ने दो-टूक कहा, मैं चेयर के प्रति इस तरह की टिप्प्णी सहन नहीं करूंगा। कहा – डॉक्टर साहब आपको राज्यपाल अभिभाषण पर 51 मिनट के लिए बुलवाया गया। यह मामला जैसे-तैसे करके शांत हुआ लेकिन इस घटनाक्रम पर सदन में गतिरोध बना रहा।
स्पीकर वेल तक पहुंचे, फिर वॉकआउट
विज की टिप्प्णी के बाद कांग्रेसियों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। कांग्रेस के कई विधायक स्पीकर वेल तक पहुंच गए। सदन में हंगामा देख स्पीकर ने कांग्रेसियों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे अपनी सीट पर बैठें या फिर जो फैसला करना है करें। वे सदन का माहौल किसी कीमत पर नहीं बिगड़ने देंगे। कादियान ने जब विज पर पलटवार में उनके लिए भी उसी शब्द का इस्तेमाल कर दिया, जिसका विज ने हुड्डा के लिए किया था तो फिर से गरमा-गरमी शुरू हो गई। स्पीकर की चेतावनी के बीच कांग्रेसियों ने सदन से वॉकआउट किया।
मेरे पिता भी गए थे पर्ची लेकर
चरखी दादरी से भाजपा विधायक सुनील सतपाल सांगवान ने इस भर्ती को लेकर ओमप्रकाश यादव के आरोपों को सही बताते हुए कहा – मेरे पिताजी (स्व. सतपाल सांगवान) उस समय कांग्रेस सरकार के साथ हुआ करते थे। हमारे हलके के एक गरीब परिवार के बेटे का रोल नंबर लेकर मेरे पिताजी भी गए थे। उन्हें कहा गया अगर आपका कोई भाई-भतीजा है तो पर्ची दे दो, नहीं तो रहने दो। सुनील ने कहा – हमारा कोई भाई-भतीजा नहीं था। लेकिन उस समय उस गरीब परिवार के बच्चे का भी चयन नहीं हुआ। सुनील सांगवान ने आरोप एक पूर्व विधायक के भतीजे सहित कई नेताओं के रिश्तेदारों का चयन करने के आरोप लगाए।
यह था पूरा मामला
हुड्डा सरकार में हुई इस भर्ती के लिए करनाल के रहने वाले अमित कुमार ने भी आवेदन किया था। अमित व कुछ अन्य भर्ती को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंचे थे। इंस्पेक्टर के 20 पदों में से 9 सामान्य वर्ग के लिए थे।
हाई कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में आरोप लगाया किया कि इन पदों पर पूर्व की सरकार के मंत्रियों, नेताओं व अधिकारियों के रिश्तेदारों को नियुक्त किया गया। अमित कुमार ने याचिका में कहा था कि उसने 200 नंबरों की लिखित परीक्षा में 145 अंक प्राप्त किए थे। वह टॉपर था, लेकिन उसे वेटिंग लिस्ट में रखा गया। इंटरव्यू में उसे 25 में से महज 7 नंबर दिए गए। कम अंक वालों को इंटरव्यू में अच्छे नंबर देकर चयन कर दिया गया।