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प्रदूषण के लिए हरियाणा और यूपी जिम्मेदार : आतिशी

07:00 AM Oct 21, 2024 IST

नयी दिल्ली, 20 अक्तूबर (एजेंसी)
कुछ वर्ष पूर्व तक दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब को जिम्मेदार ठहराने वाली आम आदमी पार्टी (आप) ने अब इसका ठीकरा हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों पर फोड़ा है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने रविवार को कहा कि आनंद विहार इलाके में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण उत्तर प्रदेश से आ रही बसें हैं। आतिशी ने पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के साथ आनंद विहार बस डिपो पर प्रदूषण नियंत्रण उपायों का निरीक्षण करने के बाद यह टिप्पणी की। आतिशी ने आप के शासन वाले पंजाब को क्लीन चिट देते हुए दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता के लिए भाजपा शासित हरियाणा में पराली जलाए जाने, डीजल बसों और ईंट भट्ठों को जिम्मेदार ठहराया। मुख्यमंत्री ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि दिल्ली में यमुना में दिखने वाले झाग इस नदी में छोड़े गए अशोधित औद्योगिक अपशिष्ट जल के कारण हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा बादशाहपुर, मुंगेशपुर और अन्य नालों के माध्यम से प्रतिदिन 165 एमजीडी औद्योगिक अशोधित अपशिष्ट जल यमुना में छोड़ता है, जबकि उत्तर प्रदेश द्वारा 65 एमजीडी दूषित पानी विभिन्न नालों के माध्यम से नदी में छोड़ा जाता है। आतिशी ने कहा कि एनसीआरटीसी और आरआरटीएस द्वारा किए गए निर्माण कार्यों से भी क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। गौर हो कि सर्दियों की शुरुआत के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता खराब होने लगी है। इसके साथ ही विभिन्न स्थानों, विशेषकर कालिंदीकुंज में यमुना नदी की सतह पर जहरीले रासायनिक झाग की मोटी परतें देखी गईं।

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315 स्मॉग गन तैनात
आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार इस समस्या से निपटने के लिए 99 टीम और 315 ‘स्मॉग गन' सहित सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर रही है। ‘स्मॉग गन' से धूल और अन्य कणों से जुड़े वायु प्रदूषण को कम करने के लिए वातावरण में पानी की छोटी बूंदों का छिड़काव किया जाता है। आतिशी ने कहा, 'छठ पर्व के दौरान वे आगरा नहर को बंद कर देते हैं जिससे उनका अशोधित कचरा दिल्ली की ओर चला जाता है। फिर भी हम समाधान चाहते हैं।'

यह तर्क दिया
आतिशी ने दावा किया कि केंद्र सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब में 2021 में पराली जलाए जाने की 71,300 घटनाओं के मुकाबले 2023 में ये घटनाएं कम होकर 36,600 रह गईं। उन्होंने कहा कि पंजाब में एक से 15 अक्तूबर के बीच पराली जलाने की घटनाओं में 27 प्रतिशत की कमी आई है, जो 2023 की 1105 घटनाओं से कम होकर 811 हो गई हैं। उन्होंने कहा कि इस बीच हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं 341 से बढ़कर 417 हो गईं और उत्तर प्रदेश में यह संख्या 244 से बढ़कर 417 हो गई।

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