Haryana-सीबीएसई की मान्यता तो मिली पर भवन नहीं
मनोज बुलाण/निस
मंडी अटेली, 17 जनवरी
राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अटेली को 8 अक्तूबर, 2020 को तत्कालीन विधायक सीताराम यादव के प्रयासों से शिक्षा विभाग ने मॉडल संस्कृति स्कूल का दर्जा दिलाकर हरियाणा शिक्षा बोर्ड से सीबीएसई में शामिल कर दिया था लेकिन भवन नहीं बना। उस समय कहा गया था कि स्कूल में नये भवन के साथ अनेक प्रकार की लैब होंगी लेकिन अटेली मॉडल संस्कृति स्कूल नये कमरों के बनने की बाट जोह रहा है।
राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अटेली में संयुक्त पंजाब-हरियाणा के समय तत्कालीन लोक निर्माण व स्वास्थ्य मंत्री जनरल शिव देव सिंह द्वारा 19 जनवरी, 1955 को बड़े हाल व कमरों का उद्घाटन किया था। लंबे समय से बने कमरों की जर्जर स्थिति के चलते हमेशा दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। 4 एकड़ मेें फैले स्कूल में 43 कमरे हैं लेकिन इनमें अधिकतर की जर्जर स्थिति बनी हुई है। बारिश के समय इनकी छतें टपकती रहती हैं, आम दिनों में भी इनका प्लास्टर गिरता रहता है। ऐसे में विद्यार्थी इस जर्जर भवन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
अटेली स्कूल
खंड स्तर का स्कूल होने के कारण यहां पर बुनियाद, आईईडी के अलावा वोकेशनल कोर्स के आईटी व बैंकिंग का संकाय है। विद्यालय में अध्यापक पूरे हैं और स्कूल परिणाम भी सराहनीय रहता है। खंड स्तर के कार्यक्रम होने से यहां पर दूसरे कार्यक्रम भी होते रहते हैं इसलिए ज्यादा कमरों की आवश्यकता पड़ती है।
अभी यह जानकारी मिली है। स्कूल प्रशासन व लोक निर्माण विभाग से फाइल लेकर उसको संबंधित विभाग से पूरा करवाया जाएगा। अगर स्कूल भवन के कमरे जर्जर हैं तो उसकी मरम्मत के साथ यदि नये भवन की जरूरत होगी तो उसको भी बनाया जाएगा।
-आरती सिंह राव, स्वास्थ्य मंत्री्स्कूल के अधिकतर कमरों की छतों से बारिश के दिनों में पानी टपकने के अलावा प्लास्टर भी गिरता रहता है। कमेटी की ओर से कई बार शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया है। स्कूल कमरों की स्थिति अच्छी नहीं होने से अभिभावकों में भय सताता रहता है।
-मास्टर राम सिंह, सदस्य स्कूल प्रबंधन कमेटीस्कूल के कमरों की स्थिति के बारे में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को भौतिक निरीक्षण कर इसका समाधान निकालने के लिए कई बार पत्र लिखे। स्कूल की तरफ से हर साल इनकी मरम्मत की जाती है। इससे पहले 75 हजार रुपए खर्च कर टूट-फूट को ठीक किया गया था। बारिश के समय कुछ कमरों की छत टपकने से दूसरे कमरों में बैठाया जाता है।
-राकेश कुमार, प्राचार्य