भिवानी, 5 जनवरी (हप्र)बेशक दुनियादारी की बानी के दो या दो से ज्यादा अर्थ हो सकते हैं परंतु सन्त बानी का सार एक ही है और वो है परमात्मा की भक्ति। जिसको भक्ति की लाग लग जाती है उसकी बाकी और लाग समाप्त हो जाती है। दुनियादारी में रहते हुए इनमें लिप्त मत होना। यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाये।उन्होंने कहा कि कर्म ऐसे करो कि परमात्मा आपका हाथ पकड़े क्योंकि यदि आप परमात्मा को पकड़ोगे तो हो सकता है आप से छूट जाए लेकिन यदि परमात्मा आपका हाथ थामेगा तो वो हाथ कभी नहीं छूट सकता।उन्होंने कहा कि परमात्मा को सूरदास जी की भांति हृदय में बसाओ क्योंकि हाथ फिर भी छुड़ाया जा सकता है परंतु हृदय से नहीं निकाला जा सकता। साधक को साधक की ही संगति भाती है। संतों के पास अनुभव की बानी है। संत ब्रह्म दर्शी हैं। वे परमात्मा के गुणों के ग्राही हैं इसीलिए संत और परमात्मा में कोई अंतर नहीं है।