Haryana-प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरणा बना सेवानिवृत्त प्राध्यापक
जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 14 जनवरी
शिक्षा विभाग से लैक्चरर के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद गांव चुडियाली निवासी लालचंद भारद्वाज प्राकृतिक खेती करते हुए अन्य को भी प्रेरित कर रहे हैं। वे देसी गाय के गोबर व गौमूत्र से जीव अमृत बनाकर इसे खाद व कीटनाशक के रूप में प्रयोग करते हैं। उनके फार्म में साहिवाल, हरियाणवी गाय व अन्य गाएं पाली जा रही हैं। उनका मानना है कि प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में युवा भी अगर आगे आ जाते हैं तो उनकी मेहनत सफल हो जाएगी। इसके लिए वे उन्हें व अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
किसान लालचंद भारद्वाज शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने खेत में लगभग 2 एकड़ क्षेत्र में गन्ने व गेहूं की प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। यहां पर खेती के दौरान किसी भी तरफ के यूरिया व केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता, यदि खाद की आवश्यकता होती है तो वह गोबर से तैयार की गई खाद का प्रयोग करते हैं। वह गेहूं व गन्ने की खेती के साथ-साथ मिलेट्स (मोटा अनाज) की भी खेती करते हैं। गन्ने की खेती के उपरांत बिना मसाले का गुड़ भी तैयार करवाते हैं, ऐसा करने से उनकी आमदन में भी बढ़ोतरी हुई हैं। वह सहर्ष बताते हैं कि उनके खेत में पैदा होने वाली गेहूं की काफी मांग रहती है। प्राकृतिक खेती से तैयार यह गेहूं करीब 5500 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से अग्रिम भुगतान पर बिकती है।
देशभर में मिलेट्स की काफी डिमांड
लालचंद भारद्वाज ने बताया कि मिलेट्स की खेती भी वह करते हैं और अम्बाला छावनी में मिलेट्स से संबंधित उनका एक आउटलेट भी हैं। यहां से तैयार होने वाले मिलेट्स पूरे भारत में भेजे जाते हैं। यूट्यूब पर मिलेट्स से संबंधित उनके लाखों में फोलोअर्स भी हैं जिस कारण उनके मिलेट्स की डिमांड भी काफी रहती है।
महाराष्ट्र के कृषि विशेषज्ञ सुभाष पालेकर से ली प्रेरणा
लालचंद ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि महाराष्ट्र के प्रसिद्ध कृषि विशेषज्ञ सुभाष पालेकर से उन्हें प्रेरणा मिली है। इसके बाद से वह प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उनके अनुसार यदि गेहूं और चावल को छोड़कर मिलेट्स का उपयोग किया जाए तो भयंकर बीमारी भी दूर हो सकती है। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र में एक अधिकारी की पत्नी को लंग्स में कैंसर था, उसने मिलेट्स का प्रयोग किया और उसका कैंसर दूर हो गया था। यदि एक महीने तक इसे प्रयोग में लाया जाए तो शुगर शत-प्रतिशत खत्म हो जाती है।
अधिकारियों ने भी किया खेती का अवलोकन
लालचंद द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यों को देखने मंगलवार को उपायुक्त पार्थ गुप्ता उनके खेत में गये। उनके साथ कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. जसविन्द्र सिंह, पूर्व सरपंच हेमंत शर्मा, विद्या सागर शर्मा के अलावा अन्य कृषि अधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान डीसी गुप्ता ने उनसे प्राकृतिक खेती के लिए किए जा रहे कार्यों, होने वाली आमदनी, उपज के अन्य लाभ आदि के बारे विस्तार से जानकारी ली।
चालू वर्ष में 3500 एकड़ पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. जसविन्द्र सिंह ने बताया कि इस वर्ष जिले में 3500 एकड़ में प्राकृतिक खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। देसी गाय को खरीदने पर 25 हजार रुपए प्रति गाय तथा 4 हजार रुपए डेमोंस्ट्रेशन प्लांट लगाने के लिए विभाग द्वारा किसान को अनुदान राशि प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा कि लालचंद भारद्वाज प्रगतिशील किसान के रूप में अन्य किसानों को जागरूक करने का जो कार्य कर रहे हैं वह नि:संदेह काफी सराहनीय है।