हर्ष चौधरी ने पैरा जैवलिन थ्रो में रचा इतिहास
फरीदाबाद (हप्र)
कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो यह जो कहावत है हर्ष चौधरी पर पूरी तरह सटीक बैठती है। 15 साल के हर्ष के जीवन में 2021 में ऐसा सैलाब आया कि उनके पूरे परिवार को हिला गया। हर्ष के शरीर में विकार शुरू हो गए। उनके माता-पिता जितेंद्र चौधरी उनको अलग-अलग प्रतिष्ठित संस्थानों में ले गये। जहां पर उसका इलाज हो सकता था वहां पहुंचे लेकिन हर्ष ठीक नहीं हो पाया। इस सैलाब के साथ हर्ष दिव्यांग की श्रेणी में आ गया। इसके बाद वह खुद जितना हताश था परिवार भी उतना भी निराश रहने लगा। ऐसे में उनके परिजनों खासकर उनके पिता जितेंद्र चौधरी जो कि एक समाजसेवी है व रंजीत भाटी पैरा ओलंपियन की प्रेरणा से हर्ष ने अपने आप को खड़ा किया और जैवलिन थ्रो की शुरुआत की। हर्ष ने हार नहीं मानी। 2 साल की कड़ी मेहनत के बाद ही सेक्टर 12 खेल स्टेडियम में कोच सनी चौधरी की देखरेख में अभ्यास करना शुरू किया। अब हाल ही में हर्ष ने सिल्वर पदक हासिल किया है। थाईलैंड में आयोजित वर्ल्ड यूथ गेम में देश भर से 38 बच्चों ने भाग लिया। जिसमें हर्ष ने सिल्वर पदक जीत कर फरीदाबाद का नाम रोशन किया।