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हैपी हार्मोंस : खुशनुमा अहसासों का झरना

07:19 AM Jan 31, 2024 IST

डॉ. माजिद अलीम
डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन। आखिर इन सभी शब्दों में क्या एक समानता है? दरअसल ये सभी हार्मोंस के नाम हैं। हार्मोन शरीर में बनने वाले एक तरह के केमिकल होते हैं। ये रक्त के जरिये शरीर के विभिन्न अंगों और ऊतकों तक पहुंचते हैं। हार्मोन हमारे शरीर की सभी तरह की गतिविधियों को तो प्रभावित करते ही हैं, ये हमारी मानसिक और भावनात्मक अवस्थाओं को भी पैदा करते हैं या उनकी प्रकृति के लिए जिम्मेदार होते हैं। ऊपर हमने जिन चार हार्मोंस का जिक्र किया है, इन सबको हैपी हार्मोंस कहते हैं। क्योंकि इनके नियमित और संतुलित स्राव से हम खुश रहते हैं, हमारा मूड अच्छा रहता है। मसलन- एंडोर्फिन जब पर्याप्त रूप से और नियमित स्रावित होता है तो हमारा दिमाग शांत और स्वस्थ रहता है। ये हमें कई तरह के दर्द से राहत दिलाता है, जबकि सेरोटोनिन हमारे मूड को स्थिर रखता है और डोपामाइन हमारे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली का एक अहम हिस्सा है। अगर शरीर में जरूरत से कम या बिल्कुल डोपामाइन न स्रावित हो तो हम चिड़चिड़े हो जाएंगे, किसी काम में हमारा मन नहीं लगेगा और कोई भी गतिविधि हमें आनंद नहीं देगी। वास्तव में इसी की मौजूदगी में हम अपना काम करने के बाद खुशी का अहसास करते हैं।

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खुशी का स्रोत व्यायाम

सवाल है शरीर को खुशियां देने वाले ये हार्मोंस पर्याप्त रूप से और नियमित स्रावित हों, इसके लिए हमें क्या करना चाहिए? वास्तव में हम अपनी गतिविधियों से, अपने लिए पर्याप्त हैपी हार्मोंस स्रावित कराने में मदद मिलती है। यही नहीं, इससे इनकी नियमितता भी बनी रहती है। इसलिए हमारी ऐसी गतिविधियां होनी चाहिए, जो हमारे लिए नियमित रूप से और पर्याप्त मात्रा में हैपी हार्मोंस स्रावित होने में मददगार हों। इसके लिए हमारी कुछ गतिविधियां खास तौरपर मददगार होती हैं। मसलन जब हम नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं तो हमारा शरीर ही नहीं, हमारा दिमाग भी स्वस्थ रहता है और शरीर नियमित रूप से हैपी हार्मोंस रिलीज करने के लिए तत्पर रहता है। इसलिए हैपी हार्मोंस को बनाने में या उन्हें शरीर से स्रावित कराने में व्यायाम की शानदार भूमिका होती है। अतः हमें नियमित रूप से एक्सरसाइज करना चाहिए।

खानपान, मनोरंजन भगाएं तनाव

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कुछ खान-पान और मनोरंजन की गतिविधियां भी हमारे लिए हार्मोंस पैदा करने में और उनकी पैदावार को नियमित बनाये रखने में मददगार होती हैं। मसलन अगर हम अकसर चॉकलेट खाते हैं, दोस्तों के साथ खूब मुस्कुराते हैं, हंसी-मजाक करते हैं, तनाव फ्री रहते हैं, तो शरीर के लिए पर्याप्त रूप में हैपी हार्मोंस पैदा होते हैं। चॉकलेट खाने में हम अच्छा महसूस करते हैं और शरीर विज्ञान इस बात की तसदीक करता है कि चॉकलेट खाने से जब हम खुशी महसूस करते हैं, तो हमारे मस्तिष्क से हैपी हार्मोंस रिलीज होते हैं। इसी तरह जब हम अपना पसंदीदा म्यूजिक सुनते हैं, तो हम खुशी से भर जाते हैं। हमारे अंदर खुशियों वाली भावनाएं उमड़ने लगती हैं। इसका नतीजा न केवल हैपी हार्मोंस के रिलीज होने में मददगार होता है बल्कि इससे रिलीज होने वाले हैपी हार्मोंस की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है, जो हमारे इर्दगिर्द तनाव को फटकने भी नहीं देती।

पसंदीदा जगह घूमना

हरे भरे, सजे और खूबसूरत पार्क में घूमना भी हमें खुश करता है और यह खुशी हमारे अंदर से हैपी हार्मोंस रिलीज करवाती है। अगर हम प्रकृति प्रेमी हैं और महीने में कई बार ऐसे जंगलों में घूमते हैं, जिन्हें देखकर हमें खुशी होती है, तो यह गतिविधि भी हमें हैपी हार्मोंस के लिए अनुकूल बनाती है। जब हम अपनी मनपसंद कहानियां पढ़ते हैं, फिल्में देखते हैं और दोस्तों के साथ अपने को सबसे ज्यादा पसंद गतिविधि में व्यस्त रहते हैं, तो ये क्षण हमें खुश रखते हैं। ये खुशी हमारे अंदर से हैपी हार्मोंस रिलीज करती है, जो शरीर के लिए कई तरह से जरूरी और काम के हैं।

फायदेमंद है मेडिटेशन, सही पॉश्चर भी

नियमित रूप से मेडिटेशन करना और दिन के ज्यादातर समय सही पॉश्चर में बैठना भी हैपी हार्मोंस रिलीज करने में सहायक होता है। मेडिटेशन के अनगिनत लाभ हैं ये हम जानते हैं, लेकिन इन लाभों में हैपी हार्मोंस का रिलीज होना भी शामिल है शायद इसे न जानते हों। दरअसल जब हम नियमित रूप से मेडिटेशन करते हैं, तो तनाव मुक्त रहते हैं। मानसिक रूप से स्वस्थ महसूस करते हैं। ऐसी स्थिति में हमारे शरीर से जो हार्मोंस रिलीज होते हैं, वो हमें खुश रखते हैं। साथ ही जब हम दिन के ज्यादातर समय कमर सीधी करके बैठते हैं यानी सही पॉश्चर में रहते हैं, तो हम इससे हम एक पॉजीटिव एनर्जी महसूस करते हैं और यह एनर्जी लेवल हमें हमारे शरीर से हैपी हार्मोंस रिलीज करने में मददगार साबित होता है।
-इ.रि. सें.

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