Happy Birthday Dilip Kumar: हिंदू से बने मुस्लिम , खाते थे 10 अंडों का ऑमलेट, बड़े ही दिलचस्प थे दिलीप साहब
चंडीगढ़, 11 दिसंबर (ट्रिन्यू)
Happy Birthday Dilip Kumar: 60-70 दशक के बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर दिलीप कुमार को हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार कहा जाता हैं। बड़े पर्दे पर सालों तक राज करने के बाद वह भले ही हमारे बीच न हों उन्होंने अपनी एक्टिंग के जरिए दर्शकों के दिल पर एक अमिट छाप छोड़ी है। अपने जमाने में एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में देने वाले दिलीप कुमार की फिल्मों को लोग आज भी देखना पसंद करते हैं।
ज्यादातर लोग दिलीप साहब को हिंदू समझते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल, दिलीप कुमार का असली नाम युसूफ खान था। उन्होंने साल 1944 में फिल्म ‘ज्वार भाटा’ के समय अभिनेत्री देविका रानी ने उनका नाम युसूफ खान से दिलीप कुमार रख दिया था।
पिता की मार से बचने के लिए किया ये काम
एक बार एक इंटरव्यू में दिलीप साहब ने कहा था, "मेरे वालिद फिल्मों के सख्त खिलाफ थे। उनके एक बहुत अच्छे दोस्त लाला बंसी नाथ के बेटे फिल्मों में काम करते थे। मेरे वालिद अक्सर उनसे शिकायत करते थे कि ये तुमने क्या कर रखा है. तुम्हारा नौजवान और सेहतमंद लड़का देखो क्या काम करता है। तब मैंने सोचा कि मेरे पिता को पता कि मैं फिल्मों में आया हूं तो वो बहुत गुस्सा होंगे और मेरी पिटाई भी करेंगे। उस समय मेरे सामने तीन नाम युसूफ खान, दिलीप कुमार और बासुदेव रखे गए। मैंने कहा कि यूसुफ खान को छोड़कर बाकि जो आपके दिल में आए वो नाम रख दीजिए।"
इस वजह से रहे जेल में
एक्टर बनने से पहले वह ब्रिटिश आर्मी की कैंटीन में सैंडविच बनाते थे, जो अंग्रेजों को बहुत पसंद आते थे। दरअसल, भारत-पाक बंटवारे के बाद उनका पूरा परिवार हिंदुस्तान आ गया था। घर में खाने-पीने का गुजारा भी मुश्किल से हो पाता था, जिसके कारण उन्हें कैंटीन में काम करना पड़ा।
दिलीप कुमार का जन्म भारत को आजादी मिलने से पहेले हुआ था इसलिए उन्होंने सैनिकों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते देखा था। वह खुद भी कई आंदोलनों का हिस्सा रहे। एक बार उन्होंने अपने साथी के कहने पर भाषण देते हुए कहा था कि आजादी के लिए भारत की लड़ाई एकदम जायज है और ब्रिटिश शासक भारतीयों से साथ गलत पेश आते हैं। अंग्रेज सरकार के खिलाफ बोलने के जुर्म में पुलिस ने उन्हें कुछ दिनों के लिए जेल में डाल दिया गया।
जेल से बहार आने के बाद उन्होंने अपने पिता के साथ दूसरा व्यवसाय किया लेकिन उसमें भी असफल रहे। तब वह फिल्ममेकर देविका रानी के पास पहुंचे और यहीं से उनके एक्टिंग के रास्ते खुल गए।
आमलेट खाने के थे शौकीन
दिलीप साहब खाने के बहुत शौकीन थे और एक वक्त में दस अंडों का आमलेट खाते थे। दिलीप साहब एक्सर काफी हाउस में बैठते थे काफी के साथ पकौड़ी और तला मिर्चा खाते थे। यही नही, उन्हें लखनऊ का खाना भी बहुत पसंद था। वह किचन में जाकर शेप को हिदायत देते थे कि मटन कैसे पकाना है।