समग्र साहित्य की बानगी
सुशील कुमार फुल्ल
आलोच्य पुस्तक ‘उदzwj;्भ्रांत साहित्य संचयिता’ में डाॅ. सेवाराम त्रिपाठी ने अपनी विद्वततापूर्ण भूमिका के साथ उदzwj;्भ्रांत यानी रमाकान्त शर्मा के समग्र साहित्य की गंभीर प्रस्तुति की है। काव्य खण्ड में छोटी कविताओं के साथ ही ग़ज़लें, लम्बी कविता, प्रबन्ध काव्य के अंश तथा अनुसृजन को स्थान दिया गया है। गद्य भाग में एक कहानी इन्द्रजाल, उपन्यास अंश ‘मैं नक्सल’, संस्मरण, ‘शिवमंगल सिंह सुमन ‘आत्मकथा’ जीवन का महत्वपूर्ण क्षण ‘आलोचना’, ‘संस्कृति और नैतिकता के प्रश्न ‘बहस’ आलोचना के झाबर मंच का अनाप-शनाप संस्मरणात्मक समीक्षा ‘एक त्रिकोण हवा में उठता हुआ’ तथा सम्पादकीय टिप्पणी ‘सोल्जेनिसिन’ संकलित हैं। यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि उदzwj;्भ्रांत का साहित्य विविधतापूर्ण है।
कवि की अन्तर्दृष्टि बड़ी पैनी एवं अबूझ है। छोटी-छोटी स्थितियों में भी मानक मोती ढूंढ़ लाने में सक्षम है। बीड़ी कविता में कवि अपने पिता और अपने सम्बन्धों को इस प्रकार उजागर करता है कि माना पिता के लिए बीड़ी ला देना ही बड़ा काम था। अभिधा के साथ-साथ अनेक अर्थों को पिरो देना कवि के कौशल का परिचायक है। आत्म संवादात्मक कविताएं पाठक को सम्मोहित करती हैं और पढ़ने में आत्मिक संतोष एवं कलात्मक आस्वाद का अहसास करवाती हैं। कवि एक निरन्तर खोज की मुद्रा में रहता है और उसके मन-मस्तिष्क में कोई न कोई बवण्डर घूमता ही रहता है।
कहानी उपन्यास में नई कहानी का आस्वाद स्पष्ट झलकता है। एक परिवेश निर्मित काेने में कहानीकार सहज एवं सरल दिखाई देता है। इन्द्रजाल एक ऐसी ही मर्मान्तक कहानी है जो नई कहानी के युग का स्मरण करवाती है। गद्य का बांकपन उदzwj;्भ्रांत के साहित्य में छलकता है। डाॅ. सेवाराम के शब्दों में ‘उदzwj;्भ्रांत के साहित्य में जुझारूपन, संघर्षशीलता और स्वनिर्मित एक विशेष किस्म का सांचा पाठक को आकर्षित करता है। वे तूफानों के बीच से राह बनाने वाले लेखक रहे हैं। निःसन्देह पुस्तक उदzwj;्भ्रांत के विराट व्यक्तित्व एवं विपुल साहित्य से रूबरू करवाती है।
पुस्तक: उद़भ्रांत साहित्य संचयिता लेखक : उद़भ्रांत प्रकाशक : नमन प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 406 मूल्य : रु. 595.