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Gyan ki Baatein : रात के समय पशुओं का रोना क्यों अशुभ मानती हैं दादी-नानी?

12:10 PM Mar 04, 2025 IST
gyan ki baatein   रात के समय पशुओं का रोना क्यों अशुभ मानती हैं दादी नानी
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चंडीगढ़, 4 मार्च (ट्रिन्यू)

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Gyan ki Baatein : पशुओं का रोना या बुरा आवाज करना भारतीय संस्कृति में आमतौर पर अशुभ माना जाता है, खासकर दादी-नानी के समय में। खासकर रात के समय में पशुओं का रोना एक अशुभ संकेत माना जाता है। यह मान्यता पारंपरिक विश्वासों और धार्मिक विचारधाराओं से जुड़ी हुई है।

दादी-नानी अक्सर बच्चों को इस बारे में बताती थीं कि रात के समय किसी जानवर का रोना या आवाज करना एक बुरा शगुन हो सकता है। यह किसी दुर्घटना या अप्रत्याशित घटना का संकेत हो सकता है।

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माना जाता है अशुभ संकेत

कई मान्यताओं के अनुसार, पशुओं का रोना या डरावनी आवाज करना, जैसे रात के समय कुत्तों का भौंकना या गाय का रोना, भविष्य में कोई बुरी घटना या अनहोनी का संकेत हो सकता है। इसे किसी दुर्घटना, बीमारी या किसी अन्य कठिन समय का पूर्वसूचक माना जाता है।

क्या है धार्मिक विश्वास?

भारतीय पारंपरिक मान्यताओं में यह विश्वास किया जाता है कि जब पशु किसी अप्राकृतिक तरीके से रोते हैं तो वह एक प्रकार का चेतावनी होती है। खासकर कुत्तों-बिल्लियों का रात में भौंकना व आवाज करना या गाय का अजीब तरीके से रंभाना इन घटनाओं को दुर्भाग्य या किसी बुरी घटना के संकेत के रूप में देखा जाता है।

पशुओं की संवेदनशीलता

कुछ लोग यह भी मानते हैं कि पशु इंसानों से अधिक संवेदनशील होते हैं और उन्हें हमारे आस-पास होने वाली घटनाओं का पहले से पता चलता है। अगर वे किसी खतरे या अशुभ घटना को महसूस करते हैं तो उनकी प्रतिक्रिया स्वाभाविक रूप से रोने या अजीब आवाज करने के रूप में हो सकती है।

भूत-प्रेत दिखना

माना जाता है कि जब कोई जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ला या उल्लू रोता है तो यह किसी मृतात्मा के उपस्थित होने का संकेत हो सकता है। रात के समय वातावरण में अधिक नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसे में इस समय पशुओं का रोना या चिल्लाना एक अप्राकृतिक घटना मानी जाती थी जो किसी भूत-प्रेत या अन्य आध्यात्मिक शक्ति के प्रभाव का प्रतीक हो सकती थी। दादी-नानी अक्सर बच्चों को सिखाती थीं कि अगर रात को कोई जानवर रोता है तो उस समय घर में या आस-पास कुछ अशुभ घटित हो सकता है, और इसके कारण लोग सतर्क रहते थे।

हालांकि इन मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है लेकिन पारंपरिक धरोहर व संस्कृति में इन बातों का बहुत महत्व रहा है इसलिए दादी-नानी इन घटनाओं को अशुभ मानती थीं।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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