मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

Gyan ki Baatein : शुभ काम पर जाने से पहले माथे पर तिलक क्यों लगाती है दादी-नानी?

12:26 PM Feb 28, 2025 IST

चंडीगढ़, 28 फरवरी (ट्रिन्यू)

Advertisement

Gyan ki Baatein : घर से बाहर शुभ काम के लिए निकलने से पहले दही-चीनी खिलाने के अलावा माथे पर तिलक लगाने का भी रिवाज है। बड़े-बुजुर्ग या दादी-नानी का माथे पर तिलक लगाने की परंपरा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल धार्मिक या सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह आत्म-संवेदन, शुभकामनाओं और परिवार के संबंधों को भी दर्शाता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

भारत में तिलक लगाने की परंपरा का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। तिलक एक प्रकार से व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करने और उसकी शारीरिक, मानसिक स्थिति को सकारात्मक बनाने का प्रतीक माना जाता है। तिलक लगाने से न केवल व्यक्ति के शरीर पर एक शुभ चिह्न बनता है बल्कि यह उसके मन में भी सकारात्मकता और शांति का संचार करता है। खासकर दादी-नानी इस परंपरा को जोड़ने के लिए बच्चों या परिवार के अन्य सदस्यों को तिलक लगाने का आग्रह करती हैं क्योंकि इसे शुभ कार्यों और नई शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है।

Advertisement

शुभकामनाओं का प्रतीक

जब दादी-नानी बच्चों या अन्य परिजनों को माथे पर तिलक लगाती हैं तो यह उनके लिए आशीर्वाद और शुभकामनाओं का प्रतीक होता है। वे चाहते हैं कि बच्चे या परिवार के सदस्य जीवन में सफल, खुशहाल और स्वस्थ रहें। यह एक तरह से दुआ और आशीर्वाद का स्वरूप है। तिलक लगाने से व्यक्ति का मन भी अच्छे कार्यों के प्रति प्रेरित होता है और वह शुभ कार्यों में मन लगाता है।

बुरी नजर से बचाए

तिलक को एक धार्मिक चिन्ह माना जाता है। हिंदू धर्म में यह विशेष रूप से भगवान की कृपा प्राप्त करने और बुरी नजर से बचने के लिए किया जाता है। तिलक लगाना सिर्फ एक पारंपरिक कदम नहीं है बल्कि यह आध्यात्मिक और मानसिक तैयारियों का हिस्सा भी होता है।

किस चीज से लगाया जाता है तिलक?

तिलक आमतौर पर सिंदूर, हल्दी या चंदन से लगाया जाता है, जो न केवल शारीरिक रूप से शुभ होते हैं बल्कि इनका मानसिक प्रभाव भी सकारात्मक होता है। सिंदूर और हल्दी को खासकर मानसिक शक्ति, आत्मविश्वास और शांति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। दादी-नानी इस परंपरा का पालन करती हैं ताकि उनके बच्चों या पोते-पोतियों का मन और आत्मा सशक्त हो।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

Advertisement
Tags :
Dadi-Nani Ki BaateinDainik Tribune Hindi NewsDainik Tribune newsGyan Ki BaatGyan Ki BaateinHindi NewsHindu DharmHindu Religionlatest newsLearn From EldersReligious beliefsReligious Storiesदैनिक ट्रिब्यून न्यूजहिंदी न्यूज