Gyan Ki Baatein : 16 संस्कारों में से एक है पाणिग्रहण रस्म, जानिए दादी-नानी के समय से चली आ रही इस प्रथा का महत्व
चंडीगढ़, 27 दिसंबर (ट्रिन्यू)
Gyan Ki Baatein : हिंदू धर्म में शादी की सभी रस्मों को बहुत ही पवित्र माना जाता है, जिसमें बंधकर दो लोग जिंदगीभर के लिए एक हो जाते हैं। हिंदू विवाह में कन्यादान, सात फेरों व सिंदूर भराई रस्म के अलावा पणिग्रहण संस्कार भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
पाणिग्रहण यानी विवाह संस्कार को 16 संस्कारों में से एक माना जाता है। इस संस्कार में वर और वधू एक-दूसरे का हाथ पकड़ते हैं और वैदिक मंत्रों के साथ अग्नि के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि पाणिग्रहण संस्कार का अर्थ क्या है...
पाणिग्रहण शब्द पाणि से बना है, जिसका अर्थ है "हाथ", और ग्रहण, जिसका अर्थ है "प्राप्त करना"। दूल्हा दुल्हन के पिता से उसका हाथ प्राप्त करता है और जिंदगीभर के लिए उसकी जिम्मेदारी लेने का संकल्प लेता है। वर-वधू एक-दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए एक-दूसरे का हाथ भावनापूर्वक समाज के सामने पकड़ते हैं।
इस संस्कार के दौरान वर के कंधे पर पड़े सफेद दुपट्टे में वधु की साड़ी का एक कोना बांधा जाता है, जिसे वैवाहिक 'गठबंधन' कहते हैं। गठबंधन करते समय वधू के पल्ले और वर के दुपट्टे के बीच सिक्का, पुष्प, हल्दी, दूर्वा और अक्षत बांधे जाते हैं।
बता दें कि सिक्का धन का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे दंपति समान रूप से साझा करेंगे। फूल खुशी और शुभकामनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि लंबी आयु और अभाव का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं, हल्दी स्वास्थ्य और ज्ञान का प्रतीक है, जो दंपति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करेगा। इसके अलावा दुर्वा जीवन शक्ति की तरह है जो कभी समाप्त नहीं होती।
पाणिग्रहण संस्कार के बाद पवित्र अग्नि के चारों ओर सात फेरे लिए जाते हैं, जिसे सप्तपदी कहा जाता है। इसके बाद दुल्हन की मांग में सिंदूर भरा जाता है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। Dainiktribuneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।