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Gyan ki Baatein : रात में पीपल के नीचे मत जाओ, भूत पकड़ लेगा... ऐसा क्यों कहती हैं दादी-नानी?

11:57 AM Mar 01, 2025 IST

चंडीगढ़, 1 मार्च (ट्रिन्यू)

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Gyan ki Baatein : "रात में पीपल के नीचे मत जाओ, भूत पकड़ लेगा" यह एक सामान्य पारंपरिक कहावत है, जो भारतीय संस्कृति में बड़े-बुजुर्गों अक्सर बच्चों को चेतावनी के रूप में कहते है। दादी-नानी अक्सर इस तरह की बातें हमें बचपन में कहती थीं। यह एक लोक विश्वास है, जिसका सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं से भी संबंध है। हालांकि, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं...

रात में पीपल के पेड़ के नीचे क्यों नहीं जाना चाहिए?

भारत में पीपल का पेड़ धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक पवित्र माना जाता है। इसे भगवान विष्णु, शिव और बौद्ध धर्म के संदर्भ में भी पूजनीय माना जाता है। हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को साक्षात ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है इसलिए दिन के समय लोग इसकी पूजा करते हैं लेकिन रात में पीपल के नीचे जाना वर्जित माना जाता है।

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ऐसा माना जाता है कि रात में पीपल के पेड़ पर आत्मा, भूत-प्रेत और अन्य अदृश्य शक्तियां वास करती हैं। मान्यता के अनुसार, रात में पीपल के नीचे जाना व्यक्ति को बुरी आत्माओं का शिकार बना सकता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक चेतावनी

दादी-नानी का यह कहन केवल धार्मिक या डराने का कारण नहीं होता बल्कि यह बच्चों को रात के समय सावधानी बरतने की शिक्षा देने का एक तरीका होता है। भारतीय परिवारों में बचपन से ही बच्चों को अजनबी स्थानों से दूर रहने की सलाह दी जाती है, ताकि वे किसी भी तरह के खतरे से बच सकें। पीपल के पेड़ के नीचे रात में जाना, एक प्रकार की सामाजिक चेतावनी होती है, जो बच्चों को रात में अकेले बाहर न जाने की आदत डालती है।

अलक्ष्‍मी का होता है वास

ऐसी मान्‍यता है पीपल के पेड़ के नीचे देवी लक्ष्‍मी की बहन अलक्ष्‍मी वास करती हैं, जोकि दरिद्रता और गरीबी की देवी मानी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ को रात को छूने से दरिद्रता और नकारात्मक शक्तियां घर आ सकती हैं।

क्या कहता है विज्ञान?

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह बात समझी जा सकती है। पीपल का पेड़ रात के समय अधिक कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) छोड़ता है। आमतौर पर, पेड़ दिन में ऑक्सीजन छोड़ते हैं और रात में कार्बन डाइऑक्साइड। यह अतिरिक्त CO2 व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। रात में पीपल के नीचे जाने से हवा में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जिससे असहज महसूस हो सकता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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