Gyan ki Baatein : होली के दिन चौराहा ना लांघे... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
चंडीगढ़, 7 मार्च (ट्रिन्यू)
Gyan ki Baatein : होली भारत का एक प्रमुख और रंगीन त्यौहार है, जिसे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं, गुलाल खेलते हैं, मिठाइयां खाते हैं और खुशियाँ बांटते हैं। इस त्योहार की उमंग और मस्ती के बावजूद हमारे बड़े-बूढ़े, जैसे दादी-नानी, अक्सर कहते हैं कि होली के दिन चौराहा नहीं लांघना चाहिए। भले ही यह एक सामान्य परंपरा या सलाह के रूप में सुनने को मिलता हो लेकिन इसके पीछे कुछ सांस्कृतिक, धार्मिक और प्राचीन मान्यताएं छिपी हुई हैं...
धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता
भारतीय परंपराओं में चौराहा एक ऐसी जगह मानी जाती है, जहां बहुत से रास्ते मिलते हैं और यहां पर लोगों की आवाजाही अधिक होती है। इस दिन चौराहे पर किसी अनहोनी या दुर्घटना के घटित होने की संभावना अधिक रहती है। दरअसल, ऐसी जगहों पर तमाम तरह की घटनाएं घटित होती रहती हैं इसलिए दादी-नानी हमें सावधान करते हैं।
लोककथाएं और मान्यताएं
कई बार दादी-नानी की कहानियों में यह भी कहा जाता है कि होली के दिन चौराहा लांघने से किसी अपशकुन या बुरी घटना का सामना करना पड़ सकता है।
रात को ना लांघे चौराहा
होली के दिन रात्रि को विशेष रूप से चौराहों पर जाना टालने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह माना जाता है कि रात्रि के समय चौराहे पर कुछ रहस्यमय शक्तियां सक्रिय हो सकती हैं।
होता है जादू-टोना
होली का त्यौहार रंगों और खुशी का प्रतीक होता है लेकिन कुछ स्थानों पर इस दिन जादू-टोने और तंत्र-मंत्र भी किया जाता है। खासकर चौराहों पर जादू-टोना जरूर किया जाता है इसलिए दादी-नानी इस दौरान चौराहा लांघने के लिए मना करती हैं।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।