Gyan Ki Baat: शाम के समय दहलीज पर बैठना क्यों वर्जित? जानें दादी-नानी की सीख से वास्तु का कनैक्शन
चंडीगढ़, 15 दिसंबर (ट्रिन्यू)
Gyan Ki Baat: वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, घर की दहलीज एक सुरक्षात्मक अवरोध है जो नकारात्मक ऊर्जा को बाहर और सकारात्मक ऊर्जा को अंदर रखने में मदद करती है। अक्सर आपने सुना होगा कि बड़े-बुजुर्गों दहलीज पर बैठने से मना करते हैं। बड़े-बुजुर्गों की रोक-टोक भले ही अटपटी वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, घर की दहलीज एक सुरक्षात्मक अवरोध है जो नकारात्मक ऊर्जा को बाहर और सकारात्मक ऊर्जा को अंदर रखने में मदद करती है। अक्सर आपने सुना होगा कि बड़े-बुजुर्गों दहलीज पर बैठने से मना करते हैं। लगे लेकिन इसके पीछे कई धार्मिक महत्व जुड़े होते हैं।
सूर्यास्त के बाद दहलीज पर क्यों नहीं बैठना चाहिए?
हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार, मां लक्ष्मी सूर्यास्त के बाद घर में आगमन करती है। ऐसे में अगर दहलीज पर कोई व्यक्ति खड़ा या बैठा होगा तो मां लक्ष्मी लौट जाएंगे। इसी वजह से दादी-नानी शाम के समय दहलीज पर बैठने के लिए मनी करती हैं।
ध्यान रखें कि संध्या के समय चौखट पर जूते चप्पल भी नहीं पड़े होने चाहिए। ऐसा करने से घर में दरिद्रता आती है और सुख-शांति भी भंग होती है। सकारात्मक ऊर्जा के लिए शाम के समय मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं और दरवाजा भी खुला रखें। इसके अलावा शाम के समय झाड़ू लगाना भी वर्जित माना जाता है क्योंकि इससे मां लक्ष्मी नाराज हो जाती है।
वास्तु के अनुसार, शाम के समय सोना भी वर्जित माना गया है। मान्यता है कि इससे व्यक्ति कई रोगों का शिकार हो जाता है और इससे आयु भी कम होती है इसलिए सूर्यास्त के समय कभी भी सोना नहीं चाहिए।
दहलीज से जुड़े अन्य वास्तु टिप्स
- दहलीज को ज़मीन से थोड़ा ऊपर उठाना चाहिए।
- दहलीज में तांबे या पीतल की पट्टियां लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है।
-वास्तु के अनुसार, दहलीज पर रंगोली बनाएं और आस-पास फूलों वाले पौधे लगाएं।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। Dainiktribune.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।