Gyan Ki Baat: जल्दी-जल्दी भोजन करने पर क्यों पड़ती है बड़े-बुजुर्गों से डांट? बीमारियों को देता है दावत
चंडीगढ़, 14 दिसंबर (ट्रिन्यू)
Gyan Ki Baat: हिंदू शास्त्रों में भोजन करने के कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना ना सिर्फ धार्मिक बल्कि सेहत की दृष्टि से भी सही है। उन्हीं नियमों से एक है कि भोजन हमेशा आराम से धीरे-धीरे करना चाहिए। बचपन में तो बड़े-बुजर्ग या दानी-नानी जल्दी-जल्दी खाना खाने पर टोक दिया करती थी लेकिन आजकल लोग जल्दीबाजी में भोजन करते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर भोजन धीरे-धीरे क्यों करना चाहिए...
जल्दी-जल्दी क्यों नहीं करना चाहिए भोजन?
आपने सुना होगा, " हमारा आहार होगा वैसा ही हमारा विचार भी होगा। " शास्त्रों के अनुसार, अन्न का संबंध सेहत और मन से संबंधित होता है। वहीं, अन्न को ब्रह्म कहा गया है इसलिए कहा जाता है कि जल्दी-जल्दी भोजन करना ब्रह्मदेव के साथ-साथ देवी अन्नपूर्णा का भी अपमान का होता है।
हिंदू धर्म में भोजन पकाने की प्रक्रिया को पूजा-अर्चना के समान माना जाता है इसलिए शुद्ध मन और अच्छी भावनाओ के साथ धीरे-धीरे भोजन करना चाहिए। कहा जाता है कि जल्दी-जल्दी भेजन करने से सेहत व मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सेहत के लिए भी हानिकारक
एक्सपर्ट के मुताबिक, बहुत जल्दी-जल्दी खाने से सेहत को कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें पाचन संबंधी समस्याएं भी शामिल है। बहुत तेजी से खाने से ओवरईटिंग, पेट फूलना, गैस, अपच और सीने में जलन हो सकती है। दरअसल, जल्दी भोजन करने से पोषक तत्वों का अवशोषण नहीं हो पाता, जिससे ये समस्याएं हो सकती हैं।
इसके अलावा तेजी से भोजन करने पर वजन बढ़ सकता है। इससे मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और चयापचय सिंड्रोम विकसित होने का खतरा भी बढ़ सकता है।
इसलिए हमेशा भोजन को धीरे-धीरे और अच्छी तरह से चबाकर खाएं। साथ ही पानी की चुस्की लेकर हाइड्रेटेड रहें और ध्यानपूर्वक खाने का अभ्यास करें।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। Dainiktribune.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।