Gyan Ki Baat : शाम को फूल-पत्तियां तोड़ने लिए क्यों मना करती हैं दादी-नानी?
चंडीगढ़ , 10 जनवरी (ट्रिन्यू)
Gyan Ki Baat : शाम हो गई है, फूल-पत्तियां मत तोड़ो... अक्सर आपने भी अपने दादी-नानी को इस बात पर टोकते हुए देखा होगा। शाम होते ही बड़े-बुजुर्ग फूल-पत्तियों को तोड़ने व छूने से मना करते हैं। कई संस्कृतियों और मान्यताओं के अनुसार, शाम को फूल और पत्तियों को तोड़ना अनुचित माना जाता है। हालांकि उनकी इस धारणा सके पीछे सिर्फ धार्मिक कारण ही नहीं है बल्कि विज्ञान भी इसे सही मानता है।
क्या है धार्मिक कारण?
फूलों को पवित्र माना जाता है और अनुष्ठानों व प्रसाद में उनका एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। उनका उपयोग देवी-देवताओं की मूर्तियों को सजाने, प्रार्थना में चढ़ाने आदि के लिए किया जाता है। एक कारण जो हमें बचपन से ही समझाया जाता रहा है कि शाम को फूल नहीं तोड़ने चाहिए क्योंकि उनका भी एक नींद चक्र होता है। ऐसा कहा जाता है कि शाम के बाद फूल, पेड़-पौधे आराम करते हैं इसलिए लोग रात के समय और सूर्यास्त के बाद फूल तोड़ने से बचते हैं।
फूलों और पौधों में देवताओं का वास
मान्यताओं के अनुसार, फूलों और पौधों में देवी-देवता निवास करते हैं। माना जाता है कि मां लक्ष्मी कमल के फूल, मां काली हिबिस्कस फूल पर वास करती हैं। वहीं, गेंदा लगभग हर हिंदू देवी-देवता को चढ़ाया जाता है। खासकर शाम को, पौधों के भीतर देवताओं या दैवीय ऊर्जा को परेशान करने वाला माना जाता है इसलिए इस समय फूल-पौधे नहीं तोड़ने चाहिए।
क्या कहता है विज्ञान?
जब विज्ञान और तर्क की बात आती है तो शाम व रात के समय पौधे प्रकाश संश्लेषण से श्वसन पर स्विच करते हैं। दिन के दौरान, पौधे CO2 को अवशोषित करके ऑक्सीजन छोड़ते हैं, लेकिन शाम के बाद वे CO2 छोड़ते हैं। ऐसे में इस दौरान फूल-पौधे तोड़ने से प्राकृतिक आदान-प्रदान बाधित होता है और फिर इसका पौधे के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।