Gyan Ki Baat : घड़ी बंद हो गई है इसे ठीक करवा लो... ऐसा क्यों कहती हैं दादी-नानी
चंडीगढ़ , 23 जनवरी (ट्रिन्यू)
Gyan Ki Baat : वास्तु शास्त्र और फेंग शुई में ऐसी कई चीजें बताई गई हैं, जो सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देकर घर का माहौल खुशनुमा बनाती हैं। वहीं, वास्तु के अनुसार, कुछ वस्तुओं को अशुभ भी माना जाता है उन्हीं में से एक है बंद घड़ी। आपने भी घर के बड़ों या दादी-नानी को कहते हुए सुना होगा कि घड़ी बंद पड़ गई है, इसे ठीक करवा लो या बदल लो...।
दादी नानी की ये बातें भले ही मिथक या अटपटी लगे लेकिन वास्तु में इनका गहरा महत्व होता है। समय को एक मूल्यवान संपत्ति माना जाता है, और एक चालू घड़ी इसकी निरंतर प्रगति को दर्शाती है, जबकि एक बंद घड़ी का अर्थ हो सकता है कि समय "स्थिर" है। चलिए आपको बताते हैं कि घर में क्यों नहीं रखनी चाहिए बंद घड़ी।
घर में क्यों नहीं रखना चाहिए बंद घड़ियां
वास्तु शास्त्र और फेंगशुई के अनुसार, घर में टूटी हुई घड़ी रखना अशुभ और अपशकुन माना जाता है। दरअसल, टूटी या बंद घड़ियां ठहराव का प्रतीक हैं, जो सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में बाधा डाल सकती हैं। यही कारण है कि घर में समय सकारात्मक रूप से बहता रहे, इसके लिए टूटी हुई घड़ियों की मरम्मत या उसे बदलना उचित है।
जीवन में डालती है बाधा
कहा जाता है कि टूटी हुई घड़ी व्यक्ति की प्रगति में बाधा डालती है और उसके जीवन में दुर्भाग्य और असफलता को आमंत्रित करती है। वास्तव में, मान्यताओं के अनुसार बंद घड़ी समय को रोक देती है, और आपका निजी जीवन या काम एक टूटी हुई घड़ी की तरह ही रुक जाता है।
कुछ लोगों का मानना है कि अगर घड़ी का शीशा टूट जाता है तो यह संकेत देता है कि आप बुरी शक्तियों के निशाने पर हैं। माना जाता है कि घड़ी का तंत्र व्यक्ति के शरीर से जुड़ा होता है इसलिए इसका खराब होना संभावित बीमारी या दुर्बलता की ओर इशारा कर समझा जाता है।
खराब दीवार घड़ी को निपटाने का सही तरीका
सबसे पहले को कोशिश करें कि आप अपनी घड़ी को ठीक करवा लें। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो इसे घर से निकाल दें। मगर वास्तु के अनुसार, खराब दीवार घड़ी को कूड़ेदान में फेंकने से व्यक्ति के जीवन में समस्याएं आ सकती हैं इसलिए इसे कूड़े में ना फेंके बल्कि किसी नदी में बहा दें। फेंकने से पहले इसे लकड़ी के बॉक्स में रखना चाहिए, ताकि इसकी नाकारात्मक ऊर्जा किसी ओर को परेशान ना करें।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।