Gyan Ki Baat : थाली में जूठन मत छोड़ो... भोजन छोड़ने पर क्यों डांटती हैं दादी-नानी?
चंडीगढ़ , 17 जनवरी (ट्रिन्यू)
Gyan Ki Baat : कुछ संस्कृतियों में अपनी प्लेट में खाना छोड़ना विनम्रता से यह संकेत देने का तरीका माना जाता है कि आप भरे हुए और संतुष्ट हैं, लेकिन कई स्थितियों में इसे असभ्य माना जाता है। अक्सर आपने भी दादी-नानी को कहते हुए सुना होगा कि थाली में जूठन मत छोड़ो... यह अच्छा नहीं होता। दादी-नानी की बातें भले ही अटपटी या बेबुनियादी लगे लेकिन इनमें गहरे रहस्य छिपे हुए होते हैं और आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे कि थाली में जूठन क्यों नहीं छोड़ना चाहिए।
क्यों नहीं छोड़ना चाहिए जूठन?
अक्सर लोग भोजन के बाद प्लेट या थाली में जूठन छोड़ देते हैं जो बाद में कूड़ेदान में फेंका जाता है। इसे अन्न का अपमान है। वहीं, मान्यता है कि अन्न में देवी अन्नपूर्णा का वास होता है इसलिए इसका अनादर करने से मां भगवती व माता लक्ष्मी का अपमान होता है। साथ ही वह व्यक्ति पाप का भागी भी बन जाता है।
कुंडली में ग्रह खराब होना
ऐसा भी माना जाता है कि जब व्यक्ति बुध और बृहस्पति स्थिति खराब हो तो वह अन्न के प्रति लापरवाह हो जाता है और उसे यह गलत आदि लग जाती है। इससे ना सिर्फ घर में आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होती है बल्कि वह व्यक्ति कर्ज में भी डूब जाता है। यही नहीं, जिन लोगों को जूठन फेंकने की आदत होती है उनके काम में भी हमेशा रुकावटें आती हैं।
शनिदेव का प्रकोप
ऐसा कहा जाता है कि भोजन की थाली में जूठा भोजन छोड़ने से भगवान शनि देव भी नाराज हो जाते हैं और आपको उनका प्रकोप झेलना पड़ सकता है। साथ ही इससे चंद्रमा ग्रह की स्थिति भी खराब होती है, जिससे उस व्यक्ति को मानसिक बीमारियां घेर सकती हैं।
क्या करें उपाय
- शास्त्रों के अनुसार, हमेशा थाली में परोसा गया भोजन पूरा खत्म करना चाहिए और जरा सा भी जूठा नहीं छोड़ना चाहिए।
-किसी कारण थाली में भोजन छूट जाता है तो हाथ जोड़कर मां अन्नपूर्णा व भगवान से माफी मांगे और उसे कूड़े में ना फेंके।
- भोजन शुरु करने से पहले थाली में से अग्रासन यानि 1 या 2 ग्रास गाय, कुत्ते या पंछी के लिए निकाल दें।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।