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गुरु जी 17 दिन के लिए बीएलओ ड्यूटी पर, स्कूलों में बैठेगा पढ़़ाई का भट्ठा

07:55 AM Aug 24, 2024 IST

एस.अग्निहोत्री/हप्र
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 23 अगस्त
शहर के सरकारी स्कूल जहां पहले ही शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं, वहीं 28 अगस्त से 13 सितंबर तक (17 दिनों के लिए ) स्कूलों से भारी संख्या में जेबीटी, टीजीटी टीचर चुनाव डयूटी पर तैनात होंगे। जाहिर है इससे स्कूलों में पढ़ाई में बाधा पड़ेगी। जानकारी के मुताबिक चंडीगढ़ चुनाव आयोग 1 जनवरी 2025 को मुख्य रखते हुए मतदाता सूची के लिए विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण के लिए अभियान चला रहा है जिसमें स्कूलों के जेबीटी, टीजीटी अध्यापकों की भी डयूटियां लगाई गई हैं। यह अभियान 28 अगस्त से 13 सितंबर तक चलेगा। जाहिर है इतने दिन अध्यापक के कक्षा में न जाने से बच्चों को दिक्कत पेश आयेगी और उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी। सूत्रों का कहना है कि बीएलओ डयूटी के लिए जो कार्य किया जाना है उनमें ज्यादातर संख्या अध्यापकों की ही है। हालांकि अन्य विभागों के कर्मी भी बीएलओ डयूटी देते हैं लेकिन उनकी संख्या बेहद कम है। कई स्कूलों में से तो चार से लेकर छह तक टीचर बीएलओ डयूटी पर लगे रहते हैं। जोकि सप्ताह में एक दिन पक्का चुनाव के लिए ऑन डयूटी रहते हैं। उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ के स्कूलों में कार्यरत 70 से अधिक हरियाणा निवासी जेबीटी और टीजीटी अध्यापक हरियाणा में रेगूलर भर्ती में सिलेक्ट होकर जॉब छोड़ कर जा चुके हैं जिससे चंडीगढ़ शिक्षा विभाग अध्यापकों की कमी से जूझ रहा है।

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स्कूलो मेंं सितंबर की परीक्षा 13 से

सूत्रों के मुताबिक शिक्षा विभाग ने इस बार सेंट्रल डेटशीट जारी कर 13 सितंबर से तीसरी से 12वीं कक्षा तक के बच्चों की परीक्षाए घोषित की हैं। लेकिन कई स्कूलों के अध्यापक बीएलओ ड्यूटी पर होने के बावजूद 13 सितंबर को ही डयूटी पर लौटेंगे तो वह बच्चों की परीक्षा की तैयारी कैसे करवा पायेंगे यह भी सवाल बना हुआ है।

लोकतंत्र में चुनाव का काम भी जरूरी: डीएसई

डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन (डीएसई) हरसुहिंदरपाल सिंह बराड़ ने कहा कि टीचर्स की बीएलओ के तौर पर ड्यूटी लगायी गयी है। लेकिन यह ख्याल रखा गया है कि प्रात:कालीन शिफ्ट वाले टीचर शाम को बीएलओ की ड्यूटी करेंगे और इवनिंग शिफ्ट वाले टीचर सुबह बीएलओ की सेवाएं देंगे। पढ़ाई प्रभावित न हो इसीलिये यह प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें जो सरकार की ओर से आदेश होते हैं उन पर अमल तो करना ही होता है, लोकतंत्र में चुनाव भी होते ही हैं। इसलिये यह काम भी जरूरी है।

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