For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

Guru Dutt Birth Anniversary : आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों को सुकून देते हैं गुरुदत्त की फिल्मों के सदाबहार गीत

08:05 PM Jul 09, 2025 IST
guru dutt birth anniversary   आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों को सुकून देते हैं गुरुदत्त की फिल्मों के सदाबहार गीत
Advertisement

नई दिल्ली, 9 जुलाई (भाषा)

Advertisement

Guru Dutt Birth Anniversary : मशहूर फिल्म निर्माता-निर्देशक और अभिनेता गुरुदत्त की फिल्मों का संगीत लोगों को रोमांचित करने वाला रहा। आज भी उनेक गीत संगीत प्रेमियों के दिलों को सुकून देते हैं। प्रेम को पूरी शिद्दत से व्यक्त करने वाले गीत हों या जोश से थिरकने को मजबूर कर देने वाले गीत या फिर अंतरे और मुखड़े के जरिये जीवन के दर्शन को बयां कर देने वाले गीत- इन सभी विधाओं को पर्दे पर बखूबी उतारने में माहिर गुरुदत्त की आज 100वीं जयंती मनाई जा रही है।

गुरुदत्त गीतों को उनके भाव के साथ पर्दे पर उतारने में माहिर होने के साथ-साथ गाने को फिल्म में कहां रखा जाए, जिससे वह कहानी का अभिन्न हिस्सा लगे, उसके भी बादशाह थे। गुरुदत्त की 100वीं जयंती पर उनकी फिल्मों के ऐसे ही 10 सदाबहार गानों की चर्चा हम यहां कर रहे हैं जो दशकों बाद भी हर उम्र के लोगों के दिलों में बसने के साथ-साथ गुनगुनाने को मजबूर कर देते हैं।

Advertisement

‘जाने वो कैसे लोग थे': वर्ष 1957 में रिलीज हुई फिल्म ‘प्यासा' का यह गीत गुरुदत्त के सबसे चर्चित गीतों में से एक माना जाता है। यह गीत हेमंत कुमार की मखमली आवाज, एसडी बर्मन के संगीत और साहिर लुधियानवी के बोल से सुसज्जित है। यह गीत खोए हुए प्यार और विश्वासघात की तड़प को व्यक्त करती है जिसे गुरुदत्त ने परदे पर बखूबी उतारा था।

‘ये दुनिया अगर मिल भी जाए': ‘प्यासा' के ही इस दमदार ‘क्लाइमेक्स' गीत को मोहम्मद रफी ने गाया था और यह गुरुदत्त के किरदार कवि विजय द्वारा भ्रष्ट, भौतिकवादी दुनिया को अस्वीकार करने के बारे में है। फिल्म की पृष्ठभूमि, गीत और रफी की दमदार आवाज इसे भारतीय सिनेमा की सबसे तीखी सामाजिक टिप्पणियों में से एक बनाती है।

‘वक्त ने किया क्या हसीं सितम'': गीता दत्त की भावपूर्ण आवाज़, एस डी बर्मन के संगीत और कैफी आजमी के बोल से सजे ‘कागज़ के फूल' (1959) फिल्म का यह गाना दिल को झकझोर देने वाला है। यह गुरुदत्त की आखिरी निर्देशित फिल्म थी। फिल्म में गुरुदत्त और वहीदा रहमान ने मुख्य भूमिका निभाई।

‘‘ना जाओ सैंया'': ‘साहिब बीबी और गुलाम' (1962) फिल्म का यह खूबसूरत गाना गीता दत्त ने गाया था और मीना कुमारी पर फिल्माया गया, जिन्होंने फिल्म में अविस्मरणीय छोटी बहू का किरदार निभाया। इस गाने के माध्यम से छोटी बहू अपने पति से विनती करती है कि उसे अकेला न छोड़े। गीत के बोल शकील बदायूंनी ने लिखे हैं।

‘जिन्हें नाज है हिंद पर': ‘प्यासा' फिल्म का यह गीत, गरीबी, भ्रष्टाचार और अन्य बुराइयों से ग्रस्त, नव-स्वतंत्र भारत की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था पर कटाक्ष करता है। साहिर लुधियानवी द्वारा रचित यह गीत, स्वतंत्रता के बाद के राष्ट्र के शोषण, पाखंड और खोखले अभिमान को रेखांकित करता है। समय के साथ इसकी प्रासंगिकता और भी गहरी होती गई है।

‘चौदहवीं का चांद हो': गुरुदत्त की फिल्मों के गीत विविध भावनाओं को व्यक्त करते हैं और मोहम्मद रफी की आवाज में यह मधुर रोमांटिक गीत सुंदरता की एक स्तुति है। 1962 में इसी नाम की फिल्म में वहीदा रहमान और गुरुदत्त और रहमान प्रेम त्रिकोण में हैं। एम. सादिक द्वारा निर्देशित यह फिल्म गुरुदत्त के करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी और ‘कागज के फूल' की असफलता के ठीक बाद आई थी।

‘सर जो तेरा चकराए': मोहम्मद रफी द्वारा गाया और एसडी बर्मन द्वारा संगीतबद्ध यह हास्यपुट लिया गया गाना फिल्म ‘प्यासा' का है। इसे हास्य कलाकार जॉनी वॉकर पर फिल्माया गया था। एक गंभीर फिल्म का हल्का-फुल्का, चंचल गीत आम आदमी के रोजमर्रा के तनाव का एक गान बन गया।

‘बाबूजी धीरे चलना': फिल्म ‘आर पार' (1954) का यह हिट गाना गीता दत्त ने गाया था। उनकी गायकी इस दृश्य में शरारत को जोड़ती है। यह दरअसल न्यू जर्सी में बसे क्यूबा के गीतकार ओस्वाल्डो फैरेस द्वारा 1947 में लिखे गए ‘क्विजास, क्विजास, क्विजास' का एक रूपांतरण है। गीता दत्त की मनमोहक आवाज और मजरूह सुल्तानपुरी के बोल के साथ, यह गाना कई लोगों का पसंदीदा है।

‘तदबीर से बिगड़ी हुई': वर्ष 1951 में प्रदर्शित फिल्म ‘बाज़ी' के इस गीत को पर्दे पर गीता बाली अभिनेता देव आनंद के लिए गाती नजर आती हैं। इसे गीता दत्त ने गाया, एसडी बर्मन ने संगीत दिया और साहिर लुधियानवी इसके गीतकार थे। इन तीनों ने गुरुदत्त की रचनात्मक यात्रा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ‘बाजी' नवकेतन फिल्म बैनर की शुरुआती और गुरुदत्त की बतौर निर्देशक पहली फिल्म थी।

‘ये रात ये चांदनी फिर कहां': देव आनंद और गीता बाली पर फिल्माया गया यह रोमांटिक गाना हेमंत कुमार की आवाज में है। यह गुरुदत्त की 1952 की सस्पेंस थ्रिलर फिल्म ‘जाल' का गाना है। यह फिल्म दो प्रेमियों की चाहत को दर्शाती है जिसे साहिर लुधियानवी ने लिखा था।

Advertisement
Tags :
Advertisement