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घुर्र-घुर्र की आवाजें भी निकालती है गरनार्ड मछली

06:35 AM May 10, 2024 IST
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के.पी. सिंह
गरनार्ड एक समुद्री मछली है। एक दूसरे तरह की ही उड़ने वाली गरनार्ड मछली भी होती है। इनका आपस में कोई संबंध नहीं होता। गरनार्ड शब्द फ्रेंच भाषा के ग्रागनर शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है घुर्र-घुर्र की आवाजें निकालना। मछुआरों द्वारा पकड़ी जाने पर और पानी से बाहर निकालने पर गरनार्ड इसी तरह की घुर्र घुर्र की आवाजें निकालती है, इसलिए इसे यह नाम दिया गया है।
गरनार्ड विश्व के अधिकांश उष्ण कटिबंधीय उपउष्णकटिबंधीय एवं समशीतोष्ण सागरों और महासागरों में पाई जाती है। इंग्लैंड के आसपास के सागरों में इसकी संख्या बहुत अधिक है। गरनार्ड अमेरिका में भी अटलंाटिक महासागर में नोवास्काटिया से लेकर वेनेजुएला तक मिलती है। यहां इसे समुद्री रॉबिंस कहते हैं। गरनार्ड मध्यम या उथले पानी में रहना पसंद करती है। यह अपनी अंगुलियों की सहायता से सागर तल में चलती फिरती रहती है।
गरनार्ड की शारीरिक संरचना अन्य समुद्री मछलियों से पूरी तरह भिन्न होती है। इसकी लंबाई 60 सेंटीमीटर से लेकर 90 सेंटीमीटर तक होती है एवं शरीर का रंग लाल-पीला, नारंगी होता है। गरनार्ड का सिर बड़ा, भारी और बक्से के आकार का होता है। इसके ऊपर हड्डियों की प्लेटें और कांटें होते हैं, जिनसे यह पूरी तरह सुरक्षित रहती हैं। इसकी आंखे इसके सिर पर काफी ऊंचाई पर होती हैं, जिससे यह काफी दूरी तक सरलता से देख सकती है। गरनार्ड की विभिन्न जातियों के भोजन करने के ढंग में पर्याप्त भिन्नता होती है। गरनार्ड सागर तल पर भोजन करने वाली मछली है। यह अपनी उंगलियों से रेत कुरेदकर छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़ों का भी शिकार करती है। गरनार्ड की कुछ जातियां केवल छोटे-छोटे क्रस्टेशियन और केकड़े खाती है।
गरनार्ड का समागम और प्रजनन बड़ा रोचक होता है। विभिन्न जातियों की गरनार्ड मछलियों के प्रजननकाल में पर्याप्त अंतर होता है। गरनार्ड की कुछ जातियों का प्रजननकाल वसंत से आरंभ होता है तथा गर्मियों तक चलता है और कुछ जातियों का प्रजनन काल अप्रैल से आरंभ होता है और जून तक चलता है। इसकी कुछ जातियां ऐसी भी हैं, जिनका समागम जून से आरंभ होता है तथा अगस्त के अंत तक चलता है। समागम काल में नर-मादा गरनार्ड एक-दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते के लिए तथा अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए विभिन्न प्रकार की ध्वनियां निकालते हैं। इसकी कुछ जातियां साधारण आवाजें निकालती हैं और कुछ संगीतमय आवाजें निकालती हैं। नर-मादा दोनों आवाजों के सहारे एक दूसरे के निकट पहुंचते हैं और फिर जोड़ा बनाते हैं।
मादा गरनार्ड एक झुंड में ढेर सारे अंडे देती है। इसके प्रत्येक अंडे का व्यास लगभग 2 मिलीमीटर होता है तथा इसमें गुलाबी अथवा लाल रंग की तेल की एक बूंद होती है। इसी बूंद के कारण ये हल्के हो जाते हैं और पानी की सतह पर पहुंच जाते हैं। इसके अंडे 5-6 दिन में परिपक्व होकर फूटते है और इनसे छोटे-छोटे बच्चे निकल आते हैं। गरनार्ड के प्रत्येक बच्चे के साथ एक योल्क थैली होती है। इसी योल्क के सहारे ये एक सप्ताह से लेकर तीन सप्ताह तक अपना काम चलाते हैं। इसके बाद ये छोटे-छोटे जीवों का शिकार आरंभ कर देते हैं और अपना शारीरिक विकास करते हैं। वर्ष के अंत तक गरनार्ड के बच्चों की लंबाई 10 सेंटीमीटर से लेकर 15 सेंटीमीटर तक हो जाती है। इसके बच्चों के सिर आरंभ से ही बड़े और भारी होते हैं। एक वर्ष के हो जाने पर गरनार्ड के बच्चों के छाती के मीनपंख बड़े और कांटेदार हो जाते हैं तथा ये वयस्क गरनार्ड जैसे दिखाई देने लगते हैं। इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर

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