बारूदी हैं फिजाएं कहां जाके सांस ली जाए
शमीम शर्मा
सर्दियों में सुबह उठना भी पूरी महाभारत है। एक नौजवान ने बताया कि घर वाले सुबह-सुबह उसे यूं उठाते हैं जैसे तीसरा विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो गया है और वह ही आखिरी सैनिक बचा है। एक बार एक अन्धा आदमी आर्मी में भर्ती होने के लिए पहुंच जाता है। आर्मी ऑफिसर उसे समझाते हुए कहता है- अरे भाई! तुम तो अन्धे हो, क्या काम करोगे? दृष्टिविहीन व्यक्ति बोला- जब लड़ाई में मैं अंधाधुंध फायरिंग करूंगा तो दुश्मन तो क्या, तुम्हारे भी छक्के छूट जायेंगे। उस अंधे आदमी का तो पता नहीं पर दुनिया में जिस तरह अंधाधुंध गोलाबारी और मारकाट हो रही है उससे तो यही लगता है कि महाशक्तियां भी पूरी तरह अंधी हो चुकी हैं।
लड़ाई इतनी लम्बी खिंच गई है कि रूस व यूक्रेन के युद्ध का कौन-सा दिन चल रहा है, कोई नहीं बता सकता। धमाकों से शहर के शहर ध्वस्त हो गये। हैवानियत और बर्बरता का कोई हिसाब ही नहीं है। मक्खियां मीठा शहद बना रही हैं, कीड़े मुलायम रेशम बुन रहे हैं और राष्ट्राध्यक्ष जानलेवा ज़हरीले बम और मिसाइल निर्माण में जुटे हैं। जालिमों को क्या पता कि उनके जुल्म कितने चूल्हों को बुझा चुके हैं।
अगर आपने दुनिया का सबसे लम्बा युद्ध देखना है तो अपनी बीवी से कहो कि इस बार लम्बी छुट्टी पर घूमने चलेंगे और फिर जब वह सारी पैकिंग कर ले तो कहो कि छोड़ो यार अगली बार चलेंगे। एक निराश आदमी का कहना है कि पुराने जमाने में राजा युद्ध करके लौटता था तो साथ एकाध रानी भी ले आता था और पटरानी चुपचाप सहन कर लेती थी। और आज का राजा अपनी घरवाली से बिना पूछे एक पव्वा नहीं ला सकता।
बच्चे तोपों से नहीं डरते। तोप चाहे खिलौने के रूप में हो या असली, उनके लिये तो खिलौना ही है। वे निर्भीक होकर ऐन तोप के सामने खड़े हो सकते हैं और उस पल भी उनके चेहरों पर मुस्कान और जिज्ञासा विद्यमान रहती है। पर दुनिया के बड़े-बड़े राष्ट्राध्यक्षों ने तोप और बंदूक गोले दिखाकर पूरी दुनिया को डरा रखा है। काश! वे बच्चों से नसीहत ले पाते। आज के माहौल पर ये शे’र कितना खरा उतर रहा है :-
मौत का ज़हर है फिजाओं में
अब कहां जाके सांस ली जाये?
000
एक बर की बात है अक डाक्टर बोल्या- हां रै! तेरे ताहीं न्यूं कही थी अक या गोली रात नैं आठ बजे लेणी है पर तन्नैं पांच बजे ही खा ली। नत्थू बोल्या- डाक्टर साब! दुश्मन पै धावा उस टैम बोलणा चहिय जद वो लड़ाई खात्तर तैयार ना हो।