For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

Adani Ports का एकाधिकार स्थापित करने में मदद कर रही गुजरात सरकार, कांग्रेस का आरोप

01:44 PM Aug 14, 2024 IST
adani ports का एकाधिकार स्थापित करने में मदद कर रही गुजरात सरकार  कांग्रेस का आरोप
जयराम रमेश। पीटीआई फाइल फोटो
Advertisement

नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा)

Advertisement

Adani Ports: कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि गुजरात की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार बंदरगाह क्षेत्र में अदाणी समूह की कंपनी का एकाधिकार सुनिश्चित करने के लिए उसकी मदद कर रही है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने अदाणी समूह से जुड़े मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराए जाने की मांग फिर से दोहराई।

कांग्रेस "हिंडनबर्ग रिसर्च" की रिपोर्ट को लेकर अदाणी समूह पर पिछले कई महीनों से हमलावर है। हालांकि, अदाणी समूह ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। रमेश ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, "सरकार निजी बंदरगाहों को 'बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर' (बीओओटी) आधार पर 30 साल की रियायत अवधि प्रदान करती है, जिसके बाद स्वामित्व गुजरात सरकार को हस्तांतरित हो जाता है। इस मॉडल के आधार पर अदाणी पोर्ट्स का वर्तमान में मुंद्रा, हजीरा और दाहेज बंदरगाहों पर नियंत्रण है।"

Advertisement

उन्होंने दावा किया, "2024 के लोकसभा चुनावों से पहले, अदाणी पोर्ट्स ने गुजरात समुद्री बोर्ड (जीएमबी) से इस रियायत अवधि को और 45 साल बढ़ाकर कुल 75 साल करने का अनुरोध किया। यह 50 वर्षों की अधिकतम स्वीकार्य अवधि से बहुत अधिक था, लेकिन जीएमबी ने गुजरात सरकार से ऐसा करने का अनुरोध करने में जल्दबाजी की।"

रमेश ने कहा, “जीएमबी इतनी जल्दी में थी कि उसने अपने बोर्ड की मंजूरी के बिना ऐसा किया, जिसके परिणामस्वरूप फाइल वापस आ गई।” उन्होंने कहा, "जीएमबी बोर्ड ने सिफारिश की कि गुजरात सरकार 30 साल की रियायत के पारित होने के बाद अन्य संभावित ऑपरेटर और कंपनियों से बोलियां आमंत्रित करके या अदाणी के साथ वित्तीय शर्तों पर फिर से बातचीत करके अपने राजस्व हितों की रक्षा करे।”

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, "ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिस्पर्धा की इस संभावना से क्रोधित टेंपो-वाला ने जीएमबी बोर्ड के फैसले में बदलाव के लिए मजबूर किया-जिसे नयी बोलियां आमंत्रित किए बिना या शर्तों पर फिर से बातचीत किए बिना अदाणी के लिए रियायत अवधि के विस्तार की सिफारिश करने के लिए संशोधित किया गया था।”

उन्होंने दावा किया कि इसमें कोई शक नहीं कि मुख्यमंत्री (भूपेंद्र पटेल) और अन्य सभी ने यह सुनिश्चित करने में जल्दबाजी की कि यह प्रस्ताव पारित हो और सभी आवश्यक हितधारकों से मंजूरी प्राप्त हो।

रमेश ने आरोप लगाया, “दिनदहाड़े हुई इस डकैती के कम से कम दो गंभीर परिणाम होंगे। पहला-अदाणी पोर्ट्स गुजरात के बंदरगाह क्षेत्र पर एकाधिकार स्थापित करेगा, बाजार की प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाएगा और आम आदमी के लिए कीमतें बढ़ाएगा। दूसरा-प्रक्रिया को पुन: बातचीत या प्रतिस्पर्धी बोली के लिए खोलने में विफल रहने से, गुजरात सरकार को राजस्व में करोड़ों रुपये का नुकसान होगा।” उन्होंने कहा, “मोदी है तो अडाणी के लिए सब कुछ मुमकिन है। इसलिए मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच जरूरी है।”

Advertisement
Tags :
Advertisement