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किसी तीर्थ से कम नहीं गुड़ियानी : डॉ. चंद्र त्रिखा

07:44 AM Sep 19, 2023 IST
रेवाड़ी के बाल भवन में सोमवार को आयोजित बाबू बालमुकुंद गुप्त स्मृति समारोह में पुस्तक का विमोचन करते अतिथिगण। -हप्र

रेवाड़ी, 18 सितंबर (हप्र)
साहित्यकार एवं मूर्धन्य पत्रकार बाबू बालमुकुंद गुप्त के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे राष्ट्रीयता के अग्रदूत तथा नवजागरण के पुरोधा थे, जिसके चलते कहा जा सकता है कि उनकी जन्मस्थली रेवाड़ी का ऐतिहासिक ग्राम गुड़ियानी किसी साहित्यिक तीर्थ से कम नहीं है। ये विचार चंडीगढ़ से पधारे हरियाणा साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक तथा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. चंद्र त्रिखा ने सोमवार को नगर के बाल भवन में व्यक्त किए।
वे यहां हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी तथा बाबू बालमुकुंद गुप्त पत्रकारिता एवं साहित्य संरक्षण परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बाबू बालमुकुंद स्मृति समारोह में मुख्य वक्ता थे। मुख्याातिथि विधायक लक्ष्मण सिंह यादव व विशिष्टातिथि एसडीएम होशियार सिंह, व्यापारी कल्याण बोर्ड के चेयरमैन बसंत लोहिया तथा बोर्ड सदस्य राकेश गर्ग थे। अध्यक्षता परिषद् के संरक्षक नरेश चौहान ने की।
कोलकाता से आये गुप्त जी के प्रपौत्र बिमल गुप्त ने स्वागताध्यक्ष की भूमिका निभाई।
विचार गोष्ठी, साहित्यकार सम्मान तथा पुस्तक लोकार्पण समारोह के मुख्य आकर्षण रहे। संचालन साहित्यकार सत्यवीर नाहड़िया ने किया। विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार गुड़ियानी स्थित गुप्त की हवेली में ई-लाइब्रेरी, संग्रहालय तथा वाचनालय स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
विचार गोष्ठी में साहित्यकार डॉ. संतराम देशवाल, हिंदी गजलकार विपिन सुनेजा तथा वरिष्ठ रचनाकार प्रो. रमेशचंद्र शर्मा ने गुप्तजी को कुशल संपादक, निर्भीक पत्रकार, ओजस्वी कवि, चिंतनशील व चुटीला व्यंग्यकार बताया।
अतिथियों ने सत्यवीर नाहड़िया के अहीरवाटी कुंडलिया संग्रह ‘आयो तात्तो भादवो’ तथा दोहाकार राजेश भुलक्कड़ की ‘नव भुलक्कड़ सतसई’ कृतियों का लोकार्पण किया।
परिषद् अध्यक्ष ऋषि सिंहल व महासचिव डा. प्रवीण खुराना ने सभी का आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर कृष्ण भगवान गोयल, आलोक सिंहल, श्याम बाबू गुप्ता, श्रुति शर्मा, मुकुट अग्रवाल, डा. कविता गुप्ता, आचार्य राम तीर्थ अरुण गुप्ता, त्रिभुवन भटनागर, हर्ष प्रधान, संदीप गोयल तेजभान कुकरेजा आदि उपस्थित थे।

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इन्हें मिला सम्मान

उत्कृष्ट साहित्य सृजन हेतु शमशेर कोसलिया (स्याणा, महेंद्रगढ़), डॉ. राजकला देशवाल (सोनीपत), रौनक हरियाणवी (बिसोहा रेवाड़ी) तथा अहमना मनोहर (खडग़वास, रेवाड़ी) को बाबू बालमुकुंद गुप्त पुरस्कार तथा बिमल गुप्त व हेमंत सिंहल को साहित्यसेवी सम्मान से अलंकृत किया गया। इस मौके पर हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत गुप्त जी पर केंद्रित विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन करने वाले करीब दो दर्जन शिक्षण संस्थानों के मुखियाओं व शिक्षकों को पुरस्कृत किया गया।

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