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10 साल में 5.41 मीटर खिसका भूजल, 107 ब्लाक पहुंचे डार्क जोन में

08:35 AM Mar 20, 2025 IST
10 साल में 5 41 मीटर खिसका भूजल  107 ब्लाक पहुंचे डार्क जोन में
चंडीगढ़ में बुधवार को विधानसभा सदन में चर्चा के दौरान अपनी बात रखतीं सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी।
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चंडीगढ़, 19 मार्च (ट्रिन्यू)
प्रदेश में खिसकता भूजल चिंता बनता जा रहा है। 10 साल में 5.41 मीटर भू-जल नीचे खिसक पहुंच गया है, जिसके चलते 107 ब्लाक डार्क जोन श्रेणी में पहुंच गए हैं। सरकार की ओर से खिसकते भूजल और अत्यधिक जल दोहन को रोकने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया गया है। 14 जिलों की 1647 ग्राम पंचायतों में अटल भूजल योजना लागू की गई है। इसके साथ ही धान की परंपरागत रोपाई की बजाय सीधी बिजाई का विकल्प तैयार गया है।
बुधवार को खिसकता भूजल और प्रदूषित जल पर सदन में अल्पावधि चर्चा हुई। 11 विधायकों ने भूजल पर चिंता जताते हुए सरकार से जवाब मांगा। विधायक भारत भूषण बतरा, गीता भुक्कल, बलराम दांगी, जस्सी पेटवाड़, विकास सहारण, पूजा, आफताब अहमद, कुलदीप वत्स, मोहम्मद इजराइल और मोहम्मद इल्यास ने राज्य में भूजल की गुणवत्ता और आदित्य देवीलाल ने सिरसा जिले में जहरीले व प्रदूषित पानी की आपूर्ति पर सरकार को घेरा।
सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने सदन में जवाब देते हुए कहा कि सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग भूजल और गुणवत्ता के पहलुओं पर निगरानी बनाए हुए है। जल-जमाव में वृद्धि ने भूजल लवणता को बढ़ा दिया है। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की ओर से वर्टिकल ड्रेनेज तकनीक का उपयोग करके 2018-19 से जलभराव मुक्त करने का अभियान शुरू किया था, जिससे भूजल गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
इस अवधि के दौरान 108 करोड़ रुपये खर्च करके 26110 एकड़ भूमि से जलभराव की समस्या दूर की है। विभाग की ओर से 2 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र को कवर करने वाली 1388 करोड़ रुपये की योजना को विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित जल सुरक्षित हरियाणा परियोजना में शामिल कराया गया है। सिंचाई मंत्री ने बताया कि जून 2014 से लेकर जून 2014 तक प्रदेश में जल स्तर में औसत 5.41 मीटर की गिरावट दर्ज की गई है।
किसानों दी गई अनुदान राशि का ब्योरा (करोड़ में)
वर्ष एकड़ अनु. राशि
2022-23 58000 41.23
2023-24 36174 25.32

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1647 गांवों में अटल भूजल योजना लागू

राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार की अटल भूजल योजना को 14 जिलों की 1647 ग्राम पंचायतों में लागू किया गया है। योजना का उद्देश्य जल संकट वाले क्षेत्रों में भूजल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार करना है। इनमें सूक्ष्म सिंचाई, फसल विविधिकरण, डीएसआर, भूजल निगरानी, तालाबों का जीर्णोद्धार शामिल है। वहीं, महेंद्रगढ़ जिले में महेंद्रगढ़ नहर जल सेवा मंडल नारनौल द्वारा कृष्णावती नदी तल से कच्चा नाला निर्माण, कृष्णावती और दोहन नदी में भूजल रिचार्ज के लिए आरसीसी पाइपलाइन बिछाने और बांध निर्माण पर 14.43 करोड रुपये की राशि खर्च की गई है।

13 जिलों में जलभराव क्षेत्र में किया सुधार

सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने बताया कि हरियाणा के 13 जिलों - रोहतक, झज्जर, सोनीपत, भिवानी, हिसार, जींद, चरखी-दादरी, फतेहाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम, सिरसा, पलवल और मेवात में उप सतही वर्टिकल जल निकासी तकनीक के जरिये जलभराव क्षेत्रों का उद्धार किया है। 2022-23 में 25490 एकड़, 2023-24 में 78155 एकड़ और 2024-25 में 53167 एकड़ शामिल है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने प्राकृतिक भूजल संसाधन के सरंक्षण को लेकर फसल विविधिकरण कार्यक्रम शुरू किया है। पानी की अधिक खपत वाली धान की फसल की जगह मक्कार, सूरजमुखी, कपास, सब्जियां, बाजरा और ग्रीष्मकालीन मूंग की वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

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नूंह-पलवल में नहीं नहरी आधारित आपूर्ति

जनस्वास्थ्य मंत्री रणबीर गंगवा ने बताया कि पलवल और नूंह जिले को छोड़कर अन्य सभी जिलों में जल संकट है। हालांकि इन जिलों में नहरी पानी की आपूर्ति नहीं है, जिसके चलते पानी की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है। जल जीवन मिशन के तहत 30.41 लाख ग्रामीण परिवारों को जल नल कनेक्शन गए हैं। नहरों व जल स्त्रोतों में प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान में 177 मल शोधन संयंत्र शहरों में स्थापित किए गए हैं, जिनकी क्षमता 2147 मिलियन लीटर प्रतिदिन है। हरियाणा में 50 मल शोधन केंद्रों के लिए केंद्र सरकार द्वारा 52.50 करोड़ की राशि मंजूर की गई है।

भूजल संसाधन आकलन की रिपोर्ट का ब्योरा
श्रेणी                  ब्लाक संख्या
अति शोषित       88
गंभीर               11
अर्द्ध-गंभीर       08
सुरक्षित            36

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