अमृत वन से छायेगी हरियाली, तालाबों पर लौटेगी रौनक
रमेश सरोए/ हप्र
करनाल, 4 जुलाई
प्रदेश में हरियाली बढ़ाने की मुहिम के साथ-साथ सरकार गांवों की प्राचीन संस्कृति को बनाए रखने के लिए अमृत वन योजना लेकर आयी है। योजना के कारगर होने पर प्रदेश में हरियाली का ग्राफ तो बढ़ेगा ही साथ ही तालाबों के बने चबूतरों पर पहले की तरह बुजुर्गों-युवाओं की चहल-कदमी भी बढ़ेगी। जो असल में हरियाणा की पहचान मानी जाती रही है।
नयी योजना के तहत सरकार ने प्रदेश के सभी वन अधिकारियों को एक-एक अमृत वन लगाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही 25 श्मशान भूमि आैर 25 पुराने तालाबों का सौंदर्यीकरण करने के आदेश दिए हैं। अमृत वन पांच-पांच एकड़ में गांव की पंचायत की सहमति के आधार पर लगाया जाएगा। इसमें प्राचीन धरोहर स्वरूप पौधे जैसे बड़, पीपल, फिलखन, जाल, बेरी, जैंड, नीम, सिरिस, रोहिडा, कैर आदि पौधे ही रोपित होंगे। श्मशान भूमि में भी इसी तरह के पौधे रोपित किए जाएंगे। इसके अलावा जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच तालाबों को सही रूप देकर चबूतरों पर उचित दूरी पर ऐसे ही पौधे लगाएं जाएंगे।
शहरीकरण की छाया से धूमिल हुई गांव की संस्कृति
हरियाणा की हमेशा पहचान रही है, गांव में प्रवेश करते ही तालाबों पर चबूतरों पर बड़े-बुजुर्ग गुफ्तगू करते हुए दिखाई देते थे। गांव में प्रवेश करने वाला व्यक्ति भी चबूतरों पर बैठे बड़े बुजुर्गों का सम्मान करके ही आगे बढ़ता था, जो अपनापन दिखाता था, सुख दुख की बाते होती रहती थी। लेकिन गांवों में शहरीकरण की छाया पड़ने व भौतिकवाद के चलते गांवों की संस्कृति धूमिल होने लगी है, जिसे प्रदेश सरकार ने फिर से पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है।
एक जिला एक अमृत वन की योजना
फिलहाल एक जिला में एक अमृत वन लगाने की योजना बनायी गयी हैं, इसमें रोपित होने वालों पौधों की देखरेख वन विभाग के अलावा ग्राम पंचायतें व ग्रामीणों के जिम्मे रहेगी ताकि अमृत वन फल फूल सकें। अमृत वन लगाने के पीछे मकसद ये है कि जहां हरियाली बढ़ेगी, शुद्ध हवा उपलब्ध होगी साथ ही पौधे देखकर प्राचीन संस्कृति की अनायास ही झलक आंखों में कौंध जाएगी।
"जिले में पांच एकड़ में एक अमृत बनाया जाएगा। अमृत वन लगाने के लिए इंद्री के गांव सज्गा में पांच एकड़ जमीन मिल चुकी हैं। 25 श्मशान घाट में भी पौधे रोपित किए जाएंगे। 25 तालाबों का जीर्णोंद्धार किया जाएगा। ये सब गांव की प्राचीन संस्कृति को जिंदा रखने के लिए सरकार की अनोखी योजना हैं। गांवों में आपसी भाईचारे की परंपरा पहले की तरह मजबूत होगी।
-जय कुमार, जिला वन अधिकारी