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नारी का गुरुत्व

07:00 AM Oct 12, 2024 IST

एक बार तुलसीदास जी के नारी को हठी तथा पराभव का कारक कहने पर कुछ समतावादी उनके रचे हुए पर काफी तीखी प्रतिक्रिया करने लगे। लोग उनके समीप जाकर उन पर आरोपण भी करने लगे कि तुलसीदास जी ने जानकी महिमा तो खूब गाई मगर बाकी नारियों का अपमान किया। इन आरोपों पर तुलसीदास जी ने अपने शांत भाव से कहा कि ऐसा नहीं है मैं तो नारी को अपना गुरु मानता हूं। आप सभी को विदित है कि मेरी अपनी पत्नी रत्नावली से ही मुझे अनंत प्रेम भी था और उसी ने तो मुझे फटकार कर सही राह भी सुझाई। अगर वह न होती तो जीवन में प्रबोधन न हो सकता था।

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प्रस्तुति : पूनम पांडे

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