ईश्वर के प्रति कृतज्ञता
08:31 AM Sep 19, 2024 IST
Advertisement
प्रख्यात संत वल्लभाचार्य अपने शिष्य के संग पैदल जा रहे थे। अचानक पैर के तलवे पर कांटा चुभ गया। फिर खून निकलने लगा। तलवा साफ करते हुए संत वल्लभाचार्य के नयनों से कृतज्ञता का भाव उमड़ उठा। वह बोले, ‘परमात्मा, आपका बहुत-बहुत आभार।’ यह सुनकर शिष्य चकित हुआ। उसने कहा, ‘आपके तलवे पर यह नुकीला कांटा गड़ गया है। रक्त बह रहा है। आप हैं कि इस बात पर कृतज्ञ हो रहे हैं?’ उस शिष्य के जवाब में संत ने बहुत ही मार्मिक बात कही। ‘ईश्वर की यह बहुत मेहरबानी है। कृपा है कि तलवे में कांटा लगा। कांटे की जगह कोई मोटा और घातक लोहे का शूल भी हो सकता था। परमात्मा की कृपा का कोई अंत नहीं है। ईश्वर ने तो मुझ नादान पर हमेशा दया ही दिखाई है।’ यह एक बहुत बड़ी बात थी। शिष्य ने इस भाव को अपना लिया।
Advertisement
प्रस्तुति : मुग्धा पांडे
Advertisement
Advertisement